नित्य संदेश। जैसे-जैसे सर्दियाँ बढ़ती हैं, हमारे शरीर पर इसका प्रभाव भी गहराई से दिखने लगता है। यह मौसम जहाँ एक ओर ताजगी और ऊर्जा लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर बुजुर्गों और हृदय, उच्च रक्तचाप या मधुमेह के मरीजों के लिए यह मौसम विशेष सतर्कता की माँग करता है। सर्दियों में शरीर की नसें सिकुड़ने लगती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और इसी कारण कई गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।
*सर्दियों में बढ़ने वाले प्रमुख रोग*
ब्रेन हेमरेज– अचानक बढ़े हुए रक्तचाप के कारण मस्तिष्क की नसें फट सकती हैं।
हार्ट अटैक– ठंड में रक्त वाहिकाएँ संकुचित होने से हृदय पर दबाव बढ़ जाता है।
फालिस (पक्षाघात / स्ट्रोक)– ठंड और उच्च रक्तचाप का सीधा संबंध स्ट्रोक से होता है।
कंजक्टिवाइटल हेमरेज– आँखों की नसें फटने की समस्या भी आम है।
नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच करें। समय पर बीपी की निगरानी से बड़ी समस्या टाली जा सकती है। दवाइयाँ समय पर दें। कई बुजुर्ग अपनी दवाई भूल जाते हैं, परिवार के सदस्यों को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए। नमक का सेवन सीमित करें। याद रखें —नमक धीमा ज़हर है। यह धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुँचाता है।
सर्दियों में अचार, पापड़, चटनी जैसी अधिक नमक वाली चीज़ों से बचें। गुनगुना पानी और हल्का गर्म भोजन शरीर को सुरक्षित रखता है। दीपावली से पहले जांच करवाना बेहतर रहेगा, ताकि किसी छिपी बीमारी का पता समय रहते लग सके। अपने चिकित्सक से समय-समय पर परामर्श अवश्य लें। आज की जीवनशैली में परिवर्तन लाना ही सबसे बड़ा उपचार है। अगर हम अपने खानपान, नींद, व्यायाम और तनाव नियंत्रण पर ध्यान दें, तो दवाइयों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो सकती है।
ठंड के मौसम को खुशहाल और स्वस्थ बनाने के लिए
* अपने घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें,
* उन्हें समय पर दवाई और गर्माहट दें,
* और उनकी नियमित जाँच कराते रहें।
> जीवनशैली बदलनी पड़ेगी,
> अन्यथा मरते दम तक दवाई खानी पड़ेगी।”
प्रस्तुति
प्रो. (डॉ.) अनिल नौसरान
वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट, संस्थापक – साइक्लोमेड फिट इंडिया
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