अर्जुन देशवाल
नित्य संदेश, बहसूमा। सनातन धर्म में वर्ष के 16 दिन पूर्वजों को समर्पित होते हैं, इन्हें हम पितृपक्ष, श्राद्ध पक्ष या महालय भी कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इसे कनागत भी कहा जाता है, क्योंकि इस समय सूर्य कन्या राशि में संचार करते हैं। इस वर्ष पितृपक्ष 15 दिन का होगा।
पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष माना जाता है, पर इसका आरंभ भाद्र पद पूर्णिमा से ही होता है। इस वर्ष पितृपक्ष 7 सितंबर यानी रविवार से शुरू होकर 21 सितंबर सर्वपितृ अमावस्या तक रहेगा। 7 सितंबर को पूर्णिमा के श्राद्ध पर चंद्र ग्रहण भी है।
श्राद्ध का महत्व और नियम
पौराणिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध स्वीकार करते हैं। पितृ वास्तव में श्रद्धा के भूखे होते हैं, इसलिए इन दिनों पूरी निष्ठा से अर्पण करना चाहिए। तामसिक आहार, विवाद, क्रोध और अपमान से बचना चाहिए तथा सात्विक आचरण के साथ पितरों का स्मरण करना चाहिए।
11 सितंबर को चतुर्थी - पंचमी का श्राद्ध
पंडित मिंटू शर्मा ने बताया कि 11 सितंबर को सूर्योदय से दोपहर 12:45 बजे तक चतुर्थी तिथि रहेगी। इसी दिन दोपहर 12:45 बजे से पंचमी तिथि प्रारंभ होकर 12 सितंबर सुबह 9:58 बजे तक रहेगी।शास्त्रीय नियम के अनुसार श्राद्ध मध्यान्ह काल में ही करना आवश्यक है। इसलिए चतुर्थी और पंचमी दोनों श्राद्ध 11 सितंबर को ही किए जाएंगे। इसलिए पहले दोपहर 12:45 बजे तक चतुर्थी का श्राद्ध करें उसके बाद पंचमी का श्राद्ध करें।
पितरों को करें जल अर्पण
वहीं पंडित मिंटू शर्मा ने बताया कि प्रतिदिन स्नान के बाद दक्षिण मुख होकर पितरों को जल अर्पण करना चाहिए। जल का तर्पण अत्यंत फलदायी माना गया है। श्रद्धा पूर्वक किए गए श्राद्ध से पितृ प्रसन्न होकर वंशजों को सुख समृद्धि और मंगल का आशीर्वाद देते हैं।
पूजन विधि
वही पंडित मिंटू शर्मा ने पूजन विधि के बारे में बताया कि सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करे। श्वेत वस्त्र धारण करें और घर को गंगाजल से शुद्ध करें। तांबे या पीतल के पात्र में जल डालें दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ओम पितृ देवाय नमः कहते हुए तर्पण करें। पितृ मंत्र का जाप करें जैसे - ऊं पितृभ्य: स्वधा नमः। पितरों से क्षमा प्रार्थना करें। चावल,तेल,घी,शहद,दूध से पिंडदान बनाकर पितरों को अर्पित करें।ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा दें।भोजन का कुछ भाग कौवे,कुत्ते व गाय को अर्पित करें।
विशेष उपाय
पंडित मिंटू शर्मा ने विशेष उपाय के बारे में बताते हुए कहा कि पितृ पक्ष में प्रतिदिन स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को जल अर्ध्य देना चाहिए और जीवन के मंगल की प्रार्थना करनी चाहिए।
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