-आन्दोलन से आम उपभोक्ताओं
को नहीं होने दी जाएगी कोई दिक्कत
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। विद्युत कर्मचारी
संयुक्त संघर्ष समिति ने फिर कहा कि बिजली कर्मियों की हड़ताल की कोई नोटिस न होते
हुए भी पावर कार्पोरेशन प्रबंधन हड़ताल थोपना चाहता है। अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों
के कार्य का वातावरण बिगाड़ रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के विरोध में चल
रहे आंदोलन के दौरान लगातार बिजली कर्मियों को निर्देश दिया जा रहा है कि उपभोक्ताओं
को कोई तकलीफ न होने पाए।
संघर्ष समिति ने कहा कि
अनावश्यक तौर पर पावर कार्पोरेशन प्रबंधन कार्य का वातावरण बिगाड़ रहा है और बड़े पैमाने
पर हड़ताल के नाम पर बिजली कर्मचारियों को उत्पीड़नात्मक नोटिस दी जा रही है, जबकि
हड़ताल की कोई नोटिस ही नहीं है। संघर्ष समिति ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आए आंधी,
तूफान के बाद बिजली कर्मियों को निर्देश दिया
है कि वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था को तत्काल दुरुस्त करें, जिससे उपभोक्ताओं
को कोई तकलीफ न हो। संयुक्त किसान मोर्चा की प्रांतीय समिति ने संघर्ष समिति की आन्दोलन
के दौरान उपभोक्ताओं की समस्याएं अटेंड करने की नीति को जनपक्षीय नीति बताते हुए निजीकरण
के विरोध चल रहे आंदोलन का समर्थन किया है। संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण विरोधी
आंदोलन में बिजली कर्मचारी पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन के साथ असहयोग कर रहे हैं। उपभोक्ताओं
को साथ लेकर चल रहे हैं और उपभोक्ताओं की समस्याएं अटेंड की जा रही है।
संघर्ष समिति के केंद्रीय
पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेंद्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडे, महेंद्र राय, पीके
दीक्षित, सुहेल आबिद, चंद्रभूषण उपाध्याय, विवेक सिंह, आरवाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित,
वीसी उपाध्याय, जवाहरलाल विश्वकर्मा, मोहम्मद वसीम, श्री चन्द, माया शंकर तिवारी, एके
श्रीवास्तव, योगेंद्र लाखा, सरजू त्रिवेदी, राम निवास त्यागी, मोहम्मद इलियास, पीएस
बाजपेई, आरएस मिश्र, प्रेम नाथ राय, जीपी सिंह, देवेन्द्र पांडेय, आशीष त्रिपाठी, राम
सहारे वर्मा, विशंभर सिंह, सुरेन्द्र सिंह, कपिल मुनि ने आज यहां जारी बयान में पुनः
कहा कि निजीकरण के विरोध में चल रहे बिजली कर्मियों के शांतिपूर्ण ध्यान आकर्षण आंदोलन
के दौरान आम उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ नहीं होने दी जाएगी। निजीकरण के विरोध में कार्य
बहिष्कार के साथ ऊर्जा भवन कार्यालय में हुई। विरोध सभा में भारी संख्या में बिजली
कर्मचारियों ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की।
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