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रंगीला फाल्गुन आई होली,
गली-गली मस्तों की टोली।
रंगो-रंगो, सुनाई देती बोली,
हंसी-ठिठोली से भरी झोली।।
पापड़, गुझिया सजी थाल,
ठंडाई पीकर, करें धमाल।
नाचो-गाओ एक सूर-ताल,
होली पर हो जाए कमाल।।
प्रकृति रंगी, टेसू की बहार,
प्रीत ऋतु, रंग बरसे अपार।
नवरंगों की हो रही बौछार,
भेद मिटे बने फाग त्योहार।।
बड़ो का आशीर्वाद हो संग,
पिचकारी से बच्चे करते तंग।
सबके चेहरे रंगे, एक से रंग,
भूले गिले-शिकवे छाए उमंग।।
जले बुराई, बड़े मंगल प्रभाव,
मिटे मन रिक्तता और अभाव।
बड़े लगाव कोई न हो तनाव,
सोहार्द के सजे होली सद्भाव।।
सपना सी.पी. साहू
इंदौर (म.प्र.)
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