नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति
के आह्वान पर गुरुवार को बुलंदशहर और गाजियाबाद में आयोजित बिजली पंचायत में बिजली
के निजीकरण के पीछे भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम
और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की सारी प्रक्रिया निरस्त करने की मांग
की गई। बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश के सभी जनपदों और परियोजनाओं पर निजीकरण के विरोध
में प्रदर्शन जारी रखा।
संघर्ष समिति ने निजीकरण के पीछे हो रहे भ्रष्टाचार
और आम उपभोक्ताओं को होने वाली तकलीफों को उजागर करने के लिए 09 अप्रैल को लखनऊ में
विशाल रैली की तैयारी शुरू कर दी है। इसके पहले 24 मार्च को मेरठ और 29 मार्च को वाराणसी
में बिजली महा पंचायत आयोजित की जाएगी। संघर्ष समिति मेरठ के पदाधिकारियों इं सीपी
सिंह (सेवानिवृत), इं कृष्ण कुमार साराश्वत, इं निशान्त त्यागी, इं प्रगति राजपूत,
कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, दिलमणि, मांगेराम, दीपक कश्यप, प्रदीप दरोगा, भूपेंद्र,
कासिफ आदि ने कहा कि जहां एक और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभी कार्यों
में पारदर्शिता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पारदर्शिता
के सिद्धांत को ताक पर रखकर बिजली के निजीकरण हेतु भ्रष्टाचार से ओतप्रोत होकर कार्य
कर रहा है। जनपद मेरठ में ऊर्जा भवन कार्यालय में विरोध सभा में सभी बिजली कर्मचारियों
ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की।
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