Breaking

Your Ads Here

Tuesday, December 2, 2025

सोशल मीडिया एवं प्रिंट मीडिया को पहल करनी होगी



समाज को सकारात्मक ऊर्जा की ओर ले जाने का अभियान

डॉक्टर अनिल नौसरान 
नित्य संदेश। आज के समय में समाज जिन चुनौतियों से गुजर रहा है, उनमें गिरते नैतिक मूल्य, बढ़ती नफरत, अविश्वास और नकारात्मकता सबसे बड़ी समस्याएँ बन गई हैं। यह स्थिति केवल हमारा मनोबल कम नहीं करती, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक वातावरण पर भी गहरा प्रभाव डालती है। ऐसे समय में आवश्यकता है कि समाज के सबसे प्रभावी स्तंभ—सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया—अपनी जिम्मेदारी को समझें और एक सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के लिए ठोस कदम उठाएँ।

गिरते नैतिक मूल्य और बढ़ती नफरत
पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि समाज में छोटी-छोटी बातों पर कटुता, विवाद और आक्रामकता बढ़ती जा रही है। नैतिक मूल्यों का ह्रास और संवेदनशीलता में कमी इसका बड़ा कारण है। जब मीडिया लगातार नकारात्मक खबरों का प्रसारण करता है, तो यह माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो जाता है।

नकारात्मक खबरों की ‘महिमा’ पर रोक जरूरी
आज अधिकांश मीडिया प्लेटफ़ॉर्म टीआरपी और लाइक्स के दबाव में नकारात्मक खबरों को बढ़ावा देते हैं—झगड़े, विवाद, अपराध और सनसनी। इन खबरों का अत्यधिक प्रसार समाज को मानसिक रूप से थका देता है और लोगों के मन में अविश्वास बढ़ाता है। समाज को यह समझना होगा कि नकारात्मक खबरें जितना ध्यान आकर्षित करती हैं, उतनी ही तेजी से समाज में नकारात्मकता फैलाती हैं।

अच्छा काम करने वालों का महिमामंडन होना चाहिए
हमारे समाज में हजारों लोग प्रतिदिन बेहतरीन काम कर रहे हैं—किसी को बचाना, किसी की मदद करना, समाज सुधार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और मानवता की मिसालें पेश करना। लेकिन ऐसे सकारात्मक उदाहरण समाचारों में बहुत कम दिखते हैं। यदि मीडिया ऐसे लोगों को मंच दे, उनकी प्रेरणादायक कहानियाँ सामने लाए, तो समाज में सकारात्मकता का प्रसार तेज़ी से होगा।

आपराधिक व्यक्तियों का नाम प्रसारित न हो
अपराध करने वाले व्यक्ति का नाम और पहचान बार-बार दिखाने से वह अनजाने में ‘प्रसिद्ध’ हो जाता है।
यह व्यवस्था समाज में गलत संदेश देती है और कई बार अपराध की नकल को भी बढ़ावा दे सकती है। यदि मीडिया आपराधिक व्यक्तियों की पहचान उजागर न करे और केवल कानून व्यवस्था व समाधान पर ध्यान दे, तो अपराध के प्रति आकर्षण और सनसनी काफी कम हो सकती है।

मीडिया बदलें तो समाज बदलेगा
यदि प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया सकारात्मक खबरों को प्राथमिकता देंगे, तो:
* समाज में आशा और विश्वास बढ़ेगा
* मानवता और नैतिकता मजबूत होगी
* नफरत की जगह संवाद बढ़ेगा
* युवा प्रेरित होंगे
* मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा
* अपराध का ‘ग्लैमर’ कम होगा
समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए मीडिया का सहयोग अब मजबूरी नहीं—बल्कि अनिवार्यता है।


No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here