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Sunday, November 2, 2025

हमारे युगीन सरोकारों से लघुकथा को जोड़ने की आवश्यकता है - नर्मदाप्रसाद उपाध्याय



नित्य संदेश ब्यूरो 
इंदौर : नगर की साहित्यिक संस्था क्षितिज साहित्य संस्था के द्वारा आयोजित किए गए अष्टम अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2025 में अध्यक्ष पद से बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार नर्मदाप्रसाद उपाध्याय ने कहा कि लघुकथा की एक समृद्ध परंपरा हमारे बीच है। हमारे युगीन सरोकारों से लघुकथा को जोड़ने की आवश्यकता है। निजता से दूर होकर रचना करने से ही लघुकथा को कालजयी स्वरूप दिया जा सकता है। 

मुख्य अतिथि राकेश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें कालजयी कृतियां लेखकों के समर्पण से मिली है। लघुकथा का वर्तमान स्वरूप संबंधित इतिहास की वीणा पत्रिका साक्षी रही है। लघुकथा का इतिहास इंदौर से, वीणा के संपादकों से जुड़ता है। लघुकथा इस युग की मांग है।

प्रथम सत्र के प्रारंभ में अतिथियों के द्वारा सरस्वती का पूजन किया गया एवं आशा मुंशी के द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। इस सत्र में सन्तोष सुपेकर को लघुकथा का शिखर सम्मान, पटना से पधारे डॉ. ध्रुव कुमार को समालोचना सम्मान, दीपा मनीष व्यास को नवलेखन सम्मान एवं राममूरत राही को समग्र सम्मान प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त देशभर से पधारे हुए 32 अन्य साहित्यकारों को साहित्य भूषण सम्मान, लघुकथा रत्न सम्मान एवं कृति सम्मान से सम्मानित किया गया। डॉ. वसुधा गाडगिल को मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा घोषित सम्मान के लिए क्षितिज साहित्य संस्था द्वारा सम्मानित किया गया। क्षितिज संस्था के द्वारा प्रकाशित की गई लघुकथा पत्रिका एवं अन्य कई पुस्तकों का इस आयोजन में लोकार्पण किया गया। इस वार्षिक पत्रिका का संपादन सतीश राठी एवं दीपक गिरकर के द्वारा किया गया है। 

संस्था अध्यक्ष सतीश राठी के द्वारा अतिथियों का परिचय और स्वागत भाषण दिया गया। इस प्रथम सत्र का संचालन रश्मि चौधरी द्वारा किया गया। प्रथम सत्र का आभार प्रदर्शन तनूजा चौबे द्वारा किया गया।

दूसरा सत्र लघुकथा पर प्रश्नोत्तरी का था। इसमें वरिष्ठ लघुकथाकारों डॉ. ध्रुव कुमार, सन्तोष सुपेकर, ज्योति जैन, कांता रॉय, अंतरा करवड़े, सीमा व्यास से लघुकथा विधा से संबंधित प्रश्न पूछे गए, जिनके सटीक, सार्थक उत्तर वरिष्ठ लघुकथाकारों द्वारा दिए गए। आयोजन के तीसरे सत्र में डॉ. शोभा जैन द्वारा हिंदी लघुकथा में समीक्षा की समस्याएँ एवं समाधान विषय पर, श्री चक्रपाणि मिश्र द्वारा साहित्य में लघुकथा विधा विषय पर, डॉ. वसुधा गाडगिल द्वारा लघुकथा का रचना कौशल और शिल्प का उपयोग विषय पर, अदिति सिंह भदौरिया द्वारा हिंदी लघुकथा में संवेदना विषय पर, घनश्याम मैथिल अमृत द्वारा लघुकथा में ग्रामीण परिदृश्य विषय पर सार्थक चर्चा की गई। इस सत्र का संचालन रश्मि स्थापक के द्वारा किया गया। 

आयोजन के चतुर्थ सत्र में लगभग 25 लघुकथाकारों के द्वारा लघुकथा पाठ किया गया। वरिष्ठ समालोचक डॉ. पुरुषोत्तम दुबे एवं वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. योगेंद्र नाथ शुक्ल के द्वारा इन समस्त लघुकथाओं पर प्रभावी विवेचना प्रस्तुत की गई। संस्था के सचिव दीपक गिरकर के द्वारा आभार व्यक्त किया गया। 

आयोजन में देश के कई शहरों से लघुकथाकारों ने अपनी सहभागिता की।

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