तरुण आहुजा
नित्य संदेश, मेरठ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आवास विकास विभाग अवैध निर्माणों पर कार्यवाही करता दिखाई तो दे रहा है, लेकिन यह कार्यवाही शास्त्री नगर में चुनिंदा सेक्टरों तक ही सीमित नज़र आ रही है।
सेक्टर-1 और 2 में कहीं सील, कहीं नोटिस, तो कहीं ध्वस्तीकरण की तस्वीरें सामने आईं—2/1 पर सील, 239/1 पर नोटिस और 661/6 पर तोड़फोड़। लेकिन सवाल वही पुराना—सेक्टर 9, 10 और 11 को कौन-सा विशेषाधिकार प्राप्त है? यहाँ 9/10 कॉम्पलेक्स में दुकानें बनकर बिक चुकी हैं, निर्माण कार्य जारी है और विभागीय सन्नाटा कायम। 14/11 का मामला तो और भी दिलचस्प है—नए आए एक्सईएन ने सर्वे कर निर्माण पर ‘X’ क्रास का निशान लगाया और खुद तोड़ने का निर्देश दिया, लेकिन 15 दिन बाद भी न कार्यवाही, न काम बंद।
उल्टा ‘X’ क्रास पर पुताई कर दी गई—मानो कानून को ही रंग-रोगन कर ढक दिया गया हो। चर्चाओं में कहा जा रहा है कि सेक्टर 7 से 13 तक बाबू-जेई-एई की “छत्रछाया” में दर्जनों निर्माण फल-फूल रहे हैं। 140/9, 9/10, 14/11 जैसे कई मामलों में न तो नोटिस, न सील, न ध्वस्तीकरण—बस खामोशी।
अब बड़ा सवाल यह है कि कानून सबके लिए एक है या सेक्टर बदलते ही नियम भी बदल जाते हैं? यदि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, तो फिर सेक्टर 9, 10 और 11 पर मेहरबानी क्यों? शहर की निगाहें जवाब पर टिकी हैं।
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