नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर बुधवार को मेरठ पूरी तरह बंद रहा। ऐतिहासिक बंद का असर सुबह से ही दिखाई दिया। सुबह 11 बजे तक खैरनगर, बुढ़ाना गेट, जिमखाना मैदान समेत कई इलाकों में दुकानों के शटरों पर ताले लटके रहें। डॉक्टरों ने भी ओपीडी कैंसिल रखी, हालांकि इस दौरान इमरजेंसी सेवाएं बहाल रही। शहर के स्कूल-कालेज बंद रहें। वकीलों ने जगह-जगह धरना-प्रदर्शन किया, वकीलों ने कहा- बेंच नहीं तो वोट नहीं।
एडवोकेट नसीब सैफी ने कहा कि पश्चिमी यूपी के आम जन को न्याय पाने के लिए यहां से इलाहाबाद 700 किमी दूर जाना पड़ता हैं, जिससे लोगों की जमीन, घर तक बिक जाता हैं और हाईकोर्ट में करोड़ों वादों की पेंडेंसी न्याय में देरी पैदा करती हैं। पश्चिम में ख़ासतौर से मेरठ में हाईकोर्ट बैंच के आने से न्याय सस्ता, सुलभ और त्वरित होगा। आज का आंदोलन सफल रहा जिसमें सभी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
अरुण कुमार पुंडीर एडवोकेट ने कहा कि वर्षो से चल रहे हाईकोर्ट बेंच आम व्यक्ति की मांग हैं न कि अधिवक्ताओं की। आज जिस तरह से सभी वर्गों ने हाईकोर्ट बैंच आंदोलन को लेकर सहयोग दिया हैं, यह अपने आप में ऐतिहासिक हैं। क्योंकि कोई भी आंदोलन या मांग तभी सफल होगी जब हर व्यक्ति इसमें अपना अपना योगदान देगा।
युवा अधिवक्ता संगठन मेरठ के कपिल कुमार भारद्वाज एडवोकेट ने कहा कि विगत 50 वर्षों से हाईकोर्ट बेंच की मांग 22 जिलों को संगठित कर केन्द्रीय संघर्ष समिति मेरठ आन्दोलित है परन्तु जब तक पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी जन-मानस संगठनों व प्रत्येक नागरिक अपने अधिकारों को नहीं समझ लेता तब तक कोई आन्दोलन सफल नहीं हो सकता इसलिए आज प्रत्येक जनपद में आज जनमानस संगठनों ने अपने प्रतिष्ठान को स्वेच्छा से बंद कर पूर्ण सहयोग दिया है इसलिए सरकार को हमारी मांगों पर जल्द से जल्द विचार करना होगा।


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