तरुण आहुजा
नित्य संदेश, मेरठ। लोहिया नगर स्थित सत्यकाम इंटरनेशनल स्कूल में नवंबर माह में अचानक अभिभावकों को “दिवाली गिफ्ट” के नाम पर बड़ा ऐलान किया गया, कोई ट्यूशन फीस नहीं लेनी, बस का किराया बिल्कुल फ्री, और बच्चों से कोई भी फॉर्म नहीं भरवाया जाएगा। पहली नज़र में यह लाभकारी योजना लगती है, लेकिन स्कूल के अंदर चल रही खींचतान ने इस “गिफ्ट” को कई सवालों के घेरे में ला दिया है।
क्या यह गिफ्ट या एक बड़ा छलावा?
अभिभावकों का कहना है कि जब स्कूल में ट्रस्ट के सदस्यों को घुसने तक नहीं दिया जा रहा, जब ट्रस्टी और प्रिंसिपल/मैनेजर के बीच गंभीर विवाद चल रहा है, तो ऐसे में फीस पूरी तरह माफ़ करने का यह फैसला आखिर कैसे लागू होगा?
स्कूल के अंदरूनी सूत्रों का दावा है
“फीस माफी की घोषणा असली नहीं, बल्कि मैनेजमेंट और ट्रस्ट के बीच शक्ति संघर्ष का हिस्सा है।” कहा जा रहा है कि यह निर्णय अभिभावकों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश है, जबकि असल में बच्चे और अभिभावक दोनों असमंजस में फँसे हुए हैं।
क्या बच्चों को बनाया जा रहा है ‘प्रेशर टूल’?
स्कूल के एक पक्ष का कहना है कि प्रिंसिपल, मैनेजर समूह अलग फैसले कर रहा है और ट्रस्ट को स्कूल प्रांगण में घुसने तक नहीं दे रहा। वहीं ट्रस्ट का आरोप है कि स्कूल के दस्तावेज़ उनकी पहुँच से बाहर किए जा रहे हैं, मीटिंग की अनुमति नहीं दी जा रही, और अभिभावकों के बीच भ्रम फैलाने के लिए “फ्री फीस स्कीम” चलाई जा रही है। यानी, दोनों गुट अपनी-अपनी पकड़ मज़बूत करने में लगे हैं और इस खींचतान का सबसे बड़ा शिकार हैं स्कूल के बच्चे।
अभिभावकों का दर्द: “हम किस पर विश्वास करें?”
अभिभावकों में भारी नाराज़गी देखने को मिल रही है।
कई अभिभावकों ने कहा—“अगर फीस फ्री है तो उसका ऑर्डर पेपर कहाँ है?” “कल को स्कूल कहेगा कि हमने तो कोई माफी नहीं दी, फिर क्या होगा?” “लड़ाई आपकी है, तनाव बच्चे क्यों झेलें?” बड़ी संख्या में अभिभावक यह शिकायत कर रहे हैं कि उनसे स्पष्ट जानकारी छिपाई जा रही है और वे रोज़ नई घोषणा से परेशान हैं।
क्या स्कूल प्रशासन पारदर्शिता से भाग रहा है?
सूत्र बताते हैं कि: न तो किसी आधिकारिक पत्र में फीस माफी का स्पष्ट आदेश दिखाया गया, न ही ट्रस्ट और मैनेजमेंट की संयुक्त घोषणा सामने आई। यही नहीं, ट्रस्ट को स्कूल में आने से रोका जाना अपने आप में बड़े सवाल खड़े करता है— क्या कुछ ऐसा है जिसे स्कूल प्रशासन छुपाना चाहता है? क्या यह मैनेजमेंट की एकतरफा चाल है?
सबसे बड़ा सवाल: बच्चों का भविष्य सुरक्षित कैसे?
जब दो पक्ष आमने-सामने हों और स्कूल दो हिस्सों में बंट चुका हो, तब पढ़ाई और बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा बन जाती है। क्या स्कूल बच्चों का उपयोग एक दबाव हथियार की तरह कर रहा है? क्या फीस माफी सिर्फ एक प्रचार स्टंट है? क्या ट्रस्ट—मैनेजमेंट विवाद शिक्षा के वातावरण को प्रदूषित कर रहा है?
प्रशासन और शिक्षा विभाग को हस्तक्षेप करना चाहिए
अभिभावकों की मांग है कि: शिक्षा विभाग तत्काल निरीक्षण करे, दोनों पक्षों को बुलाकर स्थिति साफ करे, और यह सुनिश्चित करे कि छात्रों को किसी भी तरह की मानसिक, शैक्षणिक या आर्थिक प्रताड़ना का सामना न करना पड़े।
निष्कर्ष: 'दिवाली गिफ्ट' या ‘दिवाली ड्रामा’?
सत्यकाम स्कूल का यह फैसला दिवाली बोनस नहीं, बल्कि एक ऐसा “बम्पर विवाद” बन चुका है जिसमें ट्रस्टी और मैनेजमेंट की जंग साफ दिखती है। अभिभावक परेशान, बच्चे तनाव में और स्कूल की प्रतिष्ठा दांव पर। जब तक शिक्षा विभाग और प्रशासन इस मामले में स्पष्ट कदम नहीं उठाते, यह स्पष्ट है कि यह “गिफ्ट” नहीं… बल्कि एक “गंभीर संकट” है।
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