Breaking

Your Ads Here

Wednesday, October 22, 2025

विकुल चपराना पर होनी चाहिए थी “गैंगस्टर एक्ट” की कार्रवाई: एडवोकेट रामकुमार शर्मा

 


-एसएसपी ने मौके पर मौजूद चौकी प्रभारी समेत तीन पुलिसकर्मियों को किया लाइन हाजिर


लियाकत मंसूरी

भास्कर ब्यूरो, मेरठ। भाजपा किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष विकुल चपराना के खिलाफ मेडिकल पुलिस द्वारा जो कार्रवाई की गई, उससे एडवोकेट राम कुमार शर्मा ने नाराजगी व्यक्त की है। एडवोकेट की माने तो ऐसे अपराध के खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई होनी थी, लेकिन पुलिस की ओर से आरोपी को राहत देने का कार्य किया गया। यह घटना एक अत्यंत गंभीर एवं जनभावनाओं को झकझोर देने वाली है। इस संबंध में उनकी ओर से पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखा गया है और सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। हालांकि, इस मामले में चौकी प्रभारी समेत 3 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर कर दिए गए हैं।


एडवोकेट रामकुमार शर्मा का कहना है कि इस घटना के समय पुलिसकर्मी मौके पर उपस्थित थे, परंतु उन्होंने तत्काल कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। बाद में, पुलिस ने मात्र खानापूर्ति स्वरूप गिरफ्तारी दिखाई और थाने से ही जमानत दे दी गई। इससे यह प्रतीत होता है कि संपूर्ण कार्रवाई केवल औपचारिकता तक सीमित रही। उक्त घटना ने मेरठ शहर में भय, आतंक एवं असुरक्षा का वातावरण उत्पन्न कर दिया है। आम नागरिकों में यह भावना गहराई से बैठ रही है कि सत्ता से जुड़े व्यक्ति कानून से ऊपर हैं और पुलिस-प्रशासन उन पर कठोर कार्रवाई से बचता है। यह कृत्य न केवल भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के अंतर्गत दंडनीय अपराध है, बल्कि समाज में भय, आतंक और शक्ति का दुरुपयोग फैलाने के कारण इस व्यक्ति पर उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी गतिविधि (निवारण) अधिनियम, 1986 (Gangster Act) के तहत प्रभावी कार्रवाई की जानी चाहिए थी। उल्लेखनीय है कि मेरठ में इससे पूर्व भी भाजपा नेताओं अथवा उनके समर्थकों द्वारा नागरिकों व पुलिसकर्मियों से दुर्व्यवहार की घटनाएँ हो चुकी हैं। एडवोकेट ने एडीजी, डीआईजी, एसएसपी और एसपी सिटी को इस संबंध में पत्र लिखा है।


क्यों लगनी चाहिए भाजपा नेता पर गैंग की धारा?

इस पूरे मामले को लेकर एडवोकेट रामकुमार शर्मा से विशेष बातचीत की गई। उन्होंने “गैंग” धारा 2(b) की परिभाषा क्या है? इसके बारे में विस्तार से बताया। “गैंग” का अर्थ है ऐसे दो या दो से अधिक व्यक्तियों का समूह, जो निरंतर या समय-समय पर अपराध करने में संलिप्त हों और जिनका उद्देश्य लोगों में भय या आतंक फैलाना, सरकारी अधिकारियों को भयभीत करना, अवैध आर्थिक, भौतिक या राजनीतिक लाभ प्राप्त करना हो। उदाहरण के तौर पर रंगदारी या धमकी देकर धन वसूलना, सरकारी ठेकों में दबाव बनाना, अवैध निर्माण या कब्जा करना, अपराध के बल पर राजनीतिक प्रभाव कायम रखना, लोगों से मारपीट या सार्वजनिक अपमान कर समाज में आतंक पैदा करना है।


किन अपराधों पर लागू होती है धारा 2(c)  

 “गैंगस्टर” धारा 2(c) की परिभाषा क्या है, एडवोकेट ने बताया कि “गैंगस्टर” वह व्यक्ति है, जो स्वयं अपराध करता है या किसी गिरोह का सदस्य, सहयोगी या उसका संरक्षण देने वाला हो। अर्थात, यदि कोई व्यक्ति स्वयं अपराध न भी करे, परंतु गिरोह को संरक्षण या आर्थिक सहायता देता है, तो भी उस पर गैंगस्टर एक्ट लागू हो सकता है। यह उन अपराधों पर लागू होता है जो डराने-धमकाने या भय दिखाकर किसी से धन, संपत्ति या प्रभाव प्राप्त करे। हत्या, लूट, अपहरण, मारपीट, रंगदारी, ज़मीन कब्ज़ा, महिलाओं से छेड़छाड़, या अवैध शक्ति प्रदर्शन करे। सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करे या शासन व्यवस्था को चुनौती दे।


धारा 3 के अंतर्गत दोषी है भाजपा नेता

इस अधिनियम का प्रयोग तब किया जाता है जब आरोपी बार-बार अपराध कर रहा हो, स्थानीय पुलिस और आम कानून (IPC, CrPC) से नियंत्रण मुश्किल हो, आरोपी का समाज पर आतंक या दबाव हो, जनता में उसके खिलाफ गवाही देने का डर हो या अपराध का उद्देश्य सत्ता या आर्थिक लाभ के लिए हो। एडवोकेट रामकुमार शर्मा ने दंड के बारे में बताया कि धारा 3 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे कम से कम 2 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास, ₹5,000 से ₹5,00,000 तक का जुर्माना हो सकता है।


धारा 2(b), 2(c) एवं धारा 3(1) के अंतर्गत हो कार्रवाई

अब विकुल चपराना जैसे मामलों में गैंगस्टर एक्ट क्यों बनता है? आरोपी ने सार्वजनिक रूप से नागरिक को अपमानित और भयभीत किया, उसने सत्ता संरक्षण का हवाला देकर पुलिस व जनता को दबाव में लिया, समाज में भय, आतंक और असुरक्षा का माहौल उत्पन्न किया, उसके राजनीतिक-संबंधों के कारण पुलिस निष्क्रिय रही। यह अपराध “जनता में भय और आतंक फैलाकर सत्ता या सामाजिक प्रभाव बनाए रखने” की श्रेणी में आता है। इसलिए, उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट की धारा 2(b), 2(c) एवं धारा 3(1) के अंतर्गत विकुल चपराना जैसे व्यक्ति पर कार्रवाई की जा सकती है।


ये है पूरा मामला

घटना 19 अक्टूबर की रात 10 बजे मेडिकल थाना क्षेत्र के तेजगढ़ी इलाके में हुई, लेकिन वीडियो बुधवार को सामने आया। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। पीड़ित युवकों के नाम सिद्धार्थ पॉल निवासी प्रभात नगर और सत्यम रस्तोगी निवासी शास्त्री नगर डी ब्लॉक है। वीडियो में दिख रहा है कि सड़क पर एक गाड़ी खड़ी है। गाड़ी के साथ एक आदमी मौजूद है, जो हाथ जोड़कर माफी मांगता है। सड़क पर सिर झुकाता और नाक रगड़ता है। आसपास सिक्योरिटी गार्ड भी खड़े हैं। पास खड़ा एक युवक बहुत गुस्से में है, जो बार-बार राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर का नाम लेकर युवक को गालियां देता और चिल्लाता दिख रहा है। युवक कहता है...हाथ जोड़कर कह, सोमेंद्र तोमर गलती हो गई... तेरा बाप है सोमेंद्र तोमर... तेरी... सोमेंद्र तोमर भइया है मेरा, चल निकल उधर जा...।


ये कहना है राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर का

ये जिस विवाद के बारे में आप मुझे बता रहे हैं, उसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है। मेरा नाम तो कोई भी ले सकता है, क्योंकि पूरी विधानसभा मेरी है। इस मामले से मेरा कोई ताल्लुक नहीं है। मैं ऐसे किसी व्यक्ति को जानता नहीं हूं।


जिला उपाध्यक्ष के पद से हटाए गए विकुल चपराना

भाजपा किसान मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष तेजा गुर्जर ने बुधवार को प्रेस नोट जारी किया। जिसमें बताया गया कि विकुल चपराना द्वारा एक व्यापारी के साथ अभद्र व्यवहार किया गया है, जिसकी वे कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। जिला प्रशासन पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करें। भाजपा किसान मोर्चा का कोई भी पदाधिकारी विकुल के पक्ष में खड़ा नहीं होाग। तत्काल प्रभाव से विकुल को किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष के दायित्व से मुक्त करते है।

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here