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Wednesday, October 22, 2025

कब करें न्यूरो-स्पाइन सर्जन से संपर्क, चेतावनी संकेत जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ: पीठ और गर्दन का दर्द आज के समय में दुनिया भर में सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। अधिकतर मामलों में यह दर्द आराम, हल्के व्यायाम या साधारण दवाओं से ठीक हो जाता है। लेकिन कई बार लगातार बना रहने वाला दर्द शरीर का एक संकेत होता है कि कुछ गंभीर समस्या हो सकती है। ऐसे में समय रहते विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है ताकि नसों, गतिशीलता (mobility) और यहां तक कि ब्लैडर कंट्रोल को भी सुरक्षित रखा जा सके।

यदि जिम के बाद पीठ में दर्द या लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठने के बाद गर्दन में जकड़न महसूस हो तो आमतौर पर यह कुछ दिनों में ठीक हो जाती है। लेकिन अगर दर्द 3 से 4 हफ्तों से ज्यादा समय तक बना रहे, नींद को प्रभावित करे या रोजमर्रा के कामों में बाधा डाले, तो यह चिंता का विषय है। ऐसे मामलों में न्यूरो-स्पाइन सर्जन से परामर्श लेना जरूरी है ताकि स्लिप डिस्क या स्पाइनल स्टेनोसिस जैसी गंभीर स्थितियों को समय रहते पहचाना जा सके।

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज के न्यूरो एंड स्पाइन सर्जरी विभाग के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. अमिताभ गोयल ने बताया कि “यदि पीठ के दर्द के साथ पेशाब या मल त्याग में परेशानी, लीक होना या नियंत्रण खोना महसूस हो तो यह कौडा इक्वाइना सिंड्रोम नामक आपात स्थिति का संकेत हो सकता है, जिसका तुरंत इलाज आवश्यक है।इसके अलावा ग्रोइन, जांघों या नितंबों में झनझनाहट या सुन्नपन (सैडल नंबनेस) भी एक गंभीर संकेत है। हाथ-पैरों में कमजोरी, वस्तुएं पकड़ने में कठिनाई, सीढ़ियां चढ़ने या संतुलन बनाए रखने में परेशानी, रीढ़ या नसों पर दबाव का संकेत हो सकता है। बांह या पैर तक फैलने वाला दर्द, जिसमें झनझनाहट या “पिन्स एंड नीडल्स” जैसी भावना हो, यह भी नसों के दबाव का संकेत है। इसके अलावा रात में बढ़ता दर्द, बिना वजह वजन घटना, बुखार या कैंसर का इतिहास भी गंभीर लक्षण हैं जिन्हें कभी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।“

जांच के दौरान डॉक्टर आपके लक्षणों का विस्तार से अध्ययन करेंगे, रिफ्लेक्स, ताकत और संवेदना की जांच करेंगे तथा जरूरत पड़ने पर ही इमेजिंग टेस्ट (जैसे MRI) करवाएंगे। हर पीठ दर्द वाले व्यक्ति को MRI की आवश्यकता नहीं होती। अधिकांश मरीज फिजियोथेरेपी, पोस्चर सुधार, दवाओं और जीवनशैली में बदलाव जैसे कंज़र्वेटिव ट्रीटमेंट से ही ठीक हो जाते हैं।

डॉ. अमिताभ ने आगे बताया कि “अक्सर लोग यह मानते हैं कि विशेषज्ञ से मिलने का मतलब सर्जरी तय होना है, जबकि हकीकत में अधिकांश मरीज बिना ऑपरेशन के ठीक हो जाते हैं। सर्जरी केवल उन्हीं मामलों में की जाती है जहां कमजोरी लगातार बढ़ रही हो, ब्लैडर पर नियंत्रण खो गया हो या दर्द लम्बे समय तक इलाज के बाद भी न थमे। सक्रिय रहें, लंबे समय तक बिस्तर पर न रहें, वजन नियंत्रित रखें और गलत पोस्चर से बचें। कार्यस्थल पर सही एर्गोनोमिक सेटअप और नियमित एक्सरसाइज, खासकर कोर मसल्स को मजबूत करने वाले व्यायाम, रीढ़ की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं।“

अपने शरीर की सुनें। यदि दर्द लंबे समय तक बना रहता है, आपकी दिनचर्या को प्रभावित करता है या ऊपर बताए गए किसी भी चेतावनी संकेत के साथ आता है, तो देर न करें — समय पर विशेषज्ञ से सलाह लेना जीवनभर की विकलांगता से बचा सकता है।

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