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Wednesday, October 22, 2025

कृत्रिम बुद्धिमत्ता बनाम प्राकृतिक बुद्धिमत्ता, एक चिंताजनक भविष्य: डॉ. अनिल नौसरान


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। तीस वर्ष पहले का समय याद कीजिए, जब हमारे पास मोबाइल फोन नहीं थे, केवल लैंडलाइन फोन हुआ करते थे। तब न कोई कॉन्टैक्ट लिस्ट थी, न डिजिटल डायरी। हम अपने परिवार, मित्रों और परिचितों के सैकड़ों फोन नंबर **अपनी स्मृति में याद रखते थे**। वही हमारी “मेमोरी बैंक” थी।

आज तकनीक ने लंबी छलांग लगाई है। मोबाइल फोन ने जीवन को आसान बनाया, लेकिन इसी सहजता ने हमें **मानसिक रूप से निर्भर** भी बना दिया। अब स्थिति यह है कि अपने घर के सबसे नज़दीकी सदस्य का मोबाइल नंबर तक हमें याद नहीं रहता। हम अब सोचने, याद रखने और समझने की क्षमता के बजाय, **डिजिटल उपकरणों पर भरोसा करने लगे हैं।**

 **कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का आगमन**
आज मानव सभ्यता एक और तकनीकी क्रांति के मुहाने पर खड़ी है, **Artificial Intelligence (AI)** के युग में। यह वह तकनीक है जो स्वयं निर्णय लेने, सोचने और सीखने की क्षमता रखती है। एआई हमारे जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है — शिक्षा, चिकित्सा, बैंकिंग, संचार, सुरक्षा, कला, और यहां तक कि लेखन व विचारों की दुनिया में भी। लेकिन प्रश्न यह है कि — क्या यह विकास वास्तव में मानवता के लिए वरदान है या धीरे-धीरे **हमारी प्राकृतिक बुद्धिमत्ता (Natural Intelligence)** को मिटाने का माध्यम बनता जा रहा है?

 **कृत्रिम बुद्धिमत्ता के परिणाम (Repercussions of AI)**

1. **मानव स्मृति का क्षय (Loss of Memory):**
   जैसे मोबाइल फोन ने हमारी स्मरण शक्ति को कमज़ोर किया, वैसे ही एआई हमारी मानसिक क्षमता को और भी निर्भर बना रहा है। अब न हमें गणना याद रखनी पड़ती है, न तर्क लगाने पड़ते हैं, न लेखन का अभ्यास करना पड़ता है — सब कुछ मशीनें कर देती हैं।

2. **विचार और कल्पना का ह्रास (Decline of Thinking and Creativity):**
   एआई लेख, कविता, संगीत, चित्र, यहाँ तक कि विचार भी उत्पन्न कर सकता है। जब सब कुछ मशीन कर देगी, तो **मानव की सोचने और सृजन करने की क्षमता धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी।**

3. **निर्भरता का जाल (Dependence Trap):**
   पहले हम मोबाइल पर निर्भर हुए, अब एआई पर हो रहे हैं। हर निर्णय, हर उत्तर, हर दिशा के लिए हम मशीनों की ओर देखेंगे। यह निर्भरता एक दिन **मानव को मानसिक रूप से असहाय** बना देगी।

4. **सुरक्षा और निजता का संकट (Privacy & Security Risks):**
   एआई के माध्यम से हमारे हर डेटा, हर निर्णय और हर गतिविधि को ट्रैक किया जा सकता है। इससे व्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता दोनों खतरे में हैं।

5. **मानवीय संबंधों में दूरी (Loss of Human Connection):**
   तकनीक ने सुविधा दी है, पर संवेदना छीन ली है। आज मशीनें बोलती हैं, लेकिन दिल नहीं समझतीं।

**प्राकृतिक बुद्धिमत्ता ही असली शक्ति है**

मनुष्य को विशिष्ट बनाती है उसकी **सोचने, तर्क करने और अनुभव से सीखने की क्षमता।** यही “प्राकृतिक बुद्धिमत्ता” (Natural Intelligence) है। अगर हम हर कार्य के लिए एआई पर निर्भर हो गए, तो एक दिन हमारी यह शक्ति नष्ट हो जाएगी।

जैसे लैंडलाइन फोन के समय हम सैकड़ों नंबर याद रखते थे — वैसा ही मानसिक अनुशासन अब खोता जा रहा है। **अब डर इस बात का है कि आने वाले वर्षों में हम अपने विचार और शब्द तक याद नहीं रख पाएंगे।**

 **निष्कर्ष: एआई का उपयोग सावधानी से करें**

कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक महान आविष्कार है, लेकिन इसका **संतुलित उपयोग** ही मानवता के लिए लाभकारी हो सकता है। यह हमारे जीवन का सहायक बने, स्वामी नहीं।
हमें अपनी सोच, स्मृति, लेखन और भावनाओं की शक्ति को संरक्षित रखना होगा — वरना आने वाला समय **‘मानव-मशीन युग’** कहलाएगा, जिसमें मनुष्य केवल एक दर्शक बनकर रह जाएगा।

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