-जज़्बा-ए-हिन्द नाम से उत्तर प्रदेश के सभी ज़िलों में जाएगी यात्रा, मुसलमानों को किया जाएगा एकजुट
लियाकत मंसूरी
नित्य संदेश, मेरठ। राष्ट्र जागरण अभियान द्वारा सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस का विषय "काशी के संत महात्माओं व सिद्ध पीठों के आशीर्वाद से सुबूही ख़ान के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की पावन भूमि से सनातनी मुसलमान परंपरा का शंखनाद" रहा। यह यात्रा जज़्बा-ए-हिन्द नाम से उत्तर प्रदेश के सभी ज़िलों में जाकर देश को समर्पित मुसलमानों को एकजुट करने का काम करेगी।
इस संबंध में सुबूही खान का कहना है कि औरंगज़ेब हम पर इसलिए हावी हुए, क्योंकि हम दारा शिकोह को सम्मान नहीं दे पाए। अगर हमें औरंगज़ेब की लकीर छोटी करनी है तो दारा शिकोह की लकीर लंबी करनी होगी। हमें धर्म, पंथ और संस्कृति का अर्थ जानना होगा। मैं धर्म से सनातनी हूँ, पंथ से मुसलमान हूँ और संस्कृति से हिंदू हूँ। यह दर्शन भारत के हर मुसलमान को जानना होगा। धर्म का अर्थ होता है कर्तव्य परायणता यानि परफॉरमेंस ऑफ़ ड्यूटी। जिस परिस्थिति में जो करना चाहिए वो धर्म है। पंथ या मज़हब हमारी पूजा पद्दति है। उस निराकार, निर्गुण, निर्विचार परमात्मा तक पहुँचने के जो भी रास्ते हैं वो पंथ या मज़हब है। किसी भी मंज़िल तक पहुँचने का कोई एक रास्ता नहीं हो सकता। अनेकों रास्ते हैं और सभी मंज़िल तक ले जाते हैं। अगर इंडोनेशिया आज भी सनातनी मुसलमान परंपरा पर चलकर एक सफल राष्ट्र बन सकता है तो हम क्यों नहीं? संस्कृति की सबसे सरल परिभाषा मुझे अपने गुरु गोविंदाचार्य से मिली। किसी भी भूखंड की जलवायु के अनुसार वहाँ की भाषा, भूषा, भोजन, भवन, भेषज और भजन वहाँ की संस्कृति होती है। अगर हम भारत में पैदा हुए हैं तो हम भारत जैसे दिखने चाहिए। यही कारण है कि पूरी दुनिया में इस्लाम तलवार की नोंक पर फैल रहा था और भारत की भक्ति परंपरा में लीन होकर वो नाचने गाने लगा। कभी इस्लामिक सूफी शक्ल में, कभी सनातनी मुसलमान रहीम और रसखान की शक्ल में। अगर हम शब्दों के अर्थ और गहरायी समझ जाएंगे तो हमें समझ आ जाएगा कि हमें सनातनी और हिंदू होने के लिए इस्लाम छोड़ने की ज़रूरत नहीं है। हम जहाँ हैं वहीं रहकर आध्यात्मिक ऊँचाई को हासिल कर सकते हैं। कॉन्फ्रेंस में राष्ट्र जागरण अभियान की राष्ट्रीय संयोजिका सुबूही ख़ान के साथ डॉ. लियाक़त अली, फ़रमान अली, सेजल त्यागी, रोहित गहलोत, चित्रपाल आदि लोगों ने सहभागिता की।
भाषा, जाति, क्षेत्र व संप्रदाय में बँट गया है देश
अभियान की संस्थापिका व राष्ट्रीय संयोजिका सुबूही ख़ान का कहना है कि हम राष्ट्र के सामने भविष्य में आने वाली समस्याओं पर चिंतन कर रहे हैं और समाधान ढूँढ रहे हैं। आज देश भाषा, जाति, क्षेत्र व संप्रदाय में बँट गया है। देश की नदियाँ सूख रही हैं, कहीं बाढ़ आ रही है, हिमालय धँस रहा है, गौ तस्करी व गौ वध हो रहा है। मिट्टी की उर्वरता ख़त्म हो रही है, विदेशी बीजों के बाज़ार में देसी बीज ढूँढने से नहीं मिलता है, केमिकल फर्टिलाइज़र्स ने धरती में ज़हर घोल दिया है।
लड़ाई में देश के हर एक नागरिक को खड़ा होना पड़ेगा
कहा कि धरती, पशु-पक्षी व इंसान सभी ख़त्म होने की कगार पर हैं। विदेशी ताक़तें जिनके लिए ऑर्गेनिक एक बाज़ार है, वो चाहती हैं कि भारत अपनी प्रकृति को खो दे, ताकि स्वच्छ जल, भोजन और हवा के लिए भी हमें बाज़ार पर निर्भर रहना पड़े व उन लोगों की दुकानें चलती रहें। देश की प्रकृति को बचाने की इस लड़ाई में देश के हर एक नागरिक को खड़ा होना पड़ेगा। हमने पाया कि देश के मुसलमानों का एक बड़ा तबक़ा पक्ष विपक्ष की राजनीति में उलझ गया है। हम इस यात्रा में उन सनातनियों को ढूँढने निकले हैं, जो अपने देश व उसकी मिट्टी को बचाने की इस लड़ाई में हमारा साथ देंगे।
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