नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। गौरतलब है कि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी महान शिक्षाविद सर सैयद अहमद ख़ान की जयंती के अवसर पर तीन दिवसीय सर सैयद समारोह का आयोजन किया गया, जिसका समापन शनिवार को हो गया। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में हुआ। अध्यक्षता प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. हाशिम रज़ा ज़ैदी ने की और विशिष्ट अतिथि प्रोफ़ेसर अबू सुफ़यान इस्लाही [अरबी विभागाध्यक्ष, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय], प्रोफ़ेसर सगीर अफ़राहीम [पूर्व विभागाध्यक्ष उर्दू,एएमयू ] रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि सैयद अनवर हुसैन [छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष, एएमयू] थे। स्वागत भाषण अफ़ाक़ अहमद ख़ान ने दिया और संचालन डॉ. आसिफ अली ने किया।
इससे पहले, आज के कार्यक्रमों की शुरुआत उर्दू विभाग के प्रेमचंद सेमिनार हॉल में माइनॉरिटी एजुकेशनल सोसाइटी के सहयोग से आयोजित ग़ज़ल सराय से हुई। जिसमें अध्यक्षता प्रोफेसर बी.एस. यादव [प्रधानाचार्य डीएन कॉलेज, मेरठ] ने की। बदर महमूद [एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट], इंजीनियर रिफ़त जमाली और सरताज एडवोकेट ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। ग्रुप ए में हुसैनी बेगम उर्दू मीडियम मॉडल स्कूल, मेफी ने प्रथम, हैदर पब्लिक स्कूल से हमीद ने द्वितीय और एनएएचएस स्कूल से हुमैरा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
ग्रुप बी में न्यू होराइजन पब्लिक स्कूल से अब्राहम ने प्रथम, हमीदिया गर्ल्स हाई स्कूल से ज़ैनब ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया जबकि ग्रुप सी में इस्माइल पब्लिक स्कूल से शिफ़ा ने प्रथम, मेरठ इंटरनेशनल स्कूल से रोशन सैफी ने द्वितीय और द एकेडमी, मेरठ से ज़ैनुल हसन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सेमिनार का तीसरा सत्र दोपहर 2:30 बजे शुरू हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर आराधना गुप्ता, प्रोफेसर दिनेश कुमार, प्रोफेसर मुश्ताक सदफ और डॉ. अरशद इकबाल ने की।
डॉ. चांदनी अब्बासी, मुजफ्फरनगर ने शोध वक्ता के रूप में “मुफ़िक्र क़ौम सर सैयद अहमद खान और महिला शिक्षा”, डॉ. नवेद खान, संभल ने “सर सैयद की शिक्षा की अवधारणा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” और शाहे ज़मन ने “सर सैयद के विचार और कर्म के समर्थक” शीर्षक से अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर दिनेश कुमार ने कहा कि सर सैयद एक महान व्यक्तित्व हैं जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। हालाँकि उन पर बहुत शोध किया गया है, मुझे लगता है कि उन पर और अधिक शोध किया जाना चाहिए। प्रोफेसर आराधना गुप्ता ने कहा कि हम सभ्यता और शिक्षा से उतना नहीं सीख सकते जितना हम अपने बुजुर्गों से सीख सकते हैं।
प्रोफेसर मुश्ताक सदफ ने कहा कि सभी शोधपत्र बहुत अच्छे थे और सभी शोधपत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होने चाहिए। सर सैयद की कई मोर्चों पर आलोचना की गई और वे द्वि-राष्ट्र सिद्धांत के विरोध के कारण एकता के समर्थक थे। महात्मा गांधी के अनुसार, "सर सैयद शिक्षा के पैगम्बर थे।" डॉ. अरशद इकबाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
पुरस्कार समारोह शाम 4 बजे शुरू हुआ, जिसकी शुरुआत मुहम्मद साहब द्वारा पवित्र कुरान के पाठ से हुई। नुज़हत अख्तर ने नात पेश की। इस दौरान फरहत अख्तर ने अपनी खूबसूरत आवाज़ में एक ग़ज़ल प्रस्तुत की और श्रोताओं से खूब सराहना बटोरी। इस अवसर पर तीन पुरस्कार वितरित किए गए, जिनमें सामाजिक सेवाओं के लिए सर सैयद राष्ट्रीय पुरस्कार, जागरुक नगर एसोसिएशन, मेरठ को और साहित्यिक सेवाओं के लिए सर सैयद राष्ट्रीय पुरस्कार, प्रोफेसर फारूक बख्शी [पूर्व उर्दू विभागाध्यक्ष, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद] को प्रदान किया गया। पुरस्कार विजेताओं का परिचय डॉ. इरशाद स्यानवी और डॉ. अलका वशिष्ठ ने कराया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए जागरूक नागरिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भारती ने कहा कि हम उर्दू विभाग और उसके संयुक्त संगठनों के अत्यंत आभारी हैं कि उन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ करने वाले ऐसे महान व्यक्तित्व के नाम पर हमारी सेवाओं की सराहना की। हमें सर सैयद को गहराई से समझना होगा, तभी हम उनके सपने को पूरा कर पाएंगे।
पुरस्कार प्राप्त करने के बाद प्रोफेसर फारूक बख्शी ने कहा कि मैं उर्दू विभाग और पुरस्कार समिति के सभी सदस्यों का अत्यंत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे इस योग्य समझा और इस महान व्यक्तित्व के नाम पर मुझे सम्मानित किया। यह विभाग पिछले बाईस वर्षों से सर सैयद कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है। प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी इस आंदोलन को अनुकूल और प्रतिकूल दोनों परिस्थितियों में जारी रखने के लिए बधाई के पात्र हैं। जहां तक सर सैयद का संबंध है, उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में खड़े होकर और दुनिया भर में परीक्षाओं से गुजरते हुए ज्ञान की ज्योति जलाई और आज दुनिया उनकी रोशनी से लाभान्वित हो रही है।
प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि उर्दू विभाग की स्थापना के बाद से ही हम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग अधिकांश जिलों के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विभिन्न विभागों में सर सैयद से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों, जैसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार, सर सैयद क्विज़, लेखन और भाषण प्रतियोगिताएं, बैतबाजी और सर सैयद व्याख्यान श्रृंखला के माध्यम से सर सैयद की सेवाओं, मिशन और उपलब्धियों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का काम कर रहे हैं। सर सैयद केवल अलीग समुदाय के ही नहीं, बल्कि पूरे भारत राष्ट्र के हैं और सर सैयद को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि शिक्षा का प्रसार किया जाए और राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति को इस अलंकरण से अलंकृत किया जाए। इस अवसर पर त्रैमासिक पत्रिका "सीमा" का भी लोकार्पण किया गया।
साथ ही, ग़ज़ल गायन प्रतियोगिता और बैत बाजी प्रतियोगिता की विजेता टीम और अन्य प्रतिभागियों को ट्रॉफी, स्मृति पदक और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
इस अवसर पर प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी, आदिल चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. फराह नाज, डॉ. सैयदा, डॉ. ताबिश फरीद, ईसा राणा, मदीहा असलम, शहनाज, जुबैर, मुहम्मद शमशाद, मुहम्मद अशरफ, माहे जबीं, उज्मा सहर, अमादीन शहर और छात्रों ने भाग लिया।
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