- मंत्री ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर 37 दलितों का लाइलाज बीमारी का सर्टिफिकेट बनवाया और 10 को विस्थापित दिखा दिया: संजय सिंह
नित्य संदेश ब्यूरो
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सोमेंद्र तोमर द्वारा मेरठ में हड़पे गए 47 दलितों की जमीन को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
‘‘आप’’ के यूपी प्रभारी व सांसद संजय सिंह ने कहा कि मंत्री सोमेंद्र तोमर ने एक साजिश के तहत मेरठ के कायस्त गावड़ी गांव में 47 दलितों की जमीन कब्जा ली। इसके लिए मंत्री ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर 38 दलितों का लाइलाज बीमारी का सर्टिफिकेट बनवाया और 9 को विस्थापित दिखा दिया। अगर ये साजिश न होती तो सभी लोग अपनी जमीन बेचने मंत्री के पास ही नहीं जाते, बल्कि अलग-अलग खरीददारों के पास जाते। उन्होंने कहा कि नैतिकता के आधार पर मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने मेरठ के ‘‘आप’’ जिलाध्यक्ष अंकुश चौधरी को 5 करोड़ का मानहानि नोटिस भेज दिया। आम आदमी पार्टी इस लड़ाई को सड़क से संसद तक लड़ेगी और मंत्री के खिलाफ मेरठ में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर पर बहुत गंभीर आरोप है। यह सिर्फ आरोप नहीं बल्कि सच्चाई हैं, जिनके पुख्ता प्रमाण और तथ्य मौजूद हैं। भाजपा मंत्री ने एक सुनियोजित साजिश के तहत मेरठ में दलितों की जमीन पर कब्जा किया है। नैतिकता के आधार पर मंत्री के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी और उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए था। मंत्री पर कार्रवाई होने के बजाय मंत्री ने ही उल्टा “आप” के मेरठ जिला अध्यक्ष अंकुश चौधरी पर मानहानि का नोटिस भेज दिया। यह मामला ‘चोरी और सीनाजोरी’ का है। आम आदमी पार्टी इस लड़ाई को सड़क से लेकर संसद तक और स्थानीय स्तर पर पूरी मजबूती से लड़ेगी। जैसे ही संसद में मौका मिलेगा, मैं इस मामले को देश की सबसे बड़ी पंचायत में उठाने का काम करूंगा।
सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में पहला सवाल तो यह है कि जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा इतनी बड़ी संख्या में गंभीर बीमारी के प्रमाण पत्र कैसे जारी कर दिए गए? दूसरा अहम सवाल है कि एक ही गांव के 38 दलित लोगों को कथित तौर पर गंभीर रूप से बीमार बताया गया और 9 लोगों को विस्थापित बताया गया। वे अपनी जमीन बेचने के लिए अलग-अलग खरीदारों के पास भी जा सकते थे, लेकिन यह कैसे संभव है कि सभी लोग एकजुट होकर मंत्री के पास ही पहुंचे और उनसे ही अपनी जमीन खरीदने का आग्रह किया? यह कोई संयोग नहीं हो सकता। इसका सीधा मतलब है कि जो आरोप आम आदमी पार्टी लगा रही है, वह सच है और यह दलितों की जमीन हड़पने के लिए रची गई एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है।
संजय सिंह ने मंत्री द्वारा भेजे गए मानहानि के नोटिस पर कहा कि हम 5 करोड़ रुपए के मानहानि नोटिस मिलने से हम डरने वाले नहीं हैं। इसके खिलाफ आम आदमी पार्टी मेरठ में बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी। मैं भाजपा मंत्री सोमेंद्र तोमर के इस जमीन घोटाले के मामले को संसद के पटल पर भी उठाऊंगा। अगर जरूरत पड़ी तो हम वहां रैली और जनसभाएं करके भी इस अन्याय का विरोध करेंगे।
इस दौरान आम आदमी पार्टी के मेरठ जिला अध्यक्ष अंकुश चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बैठकर प्रदेश की नीतियां निर्धारित करते हैं। मंत्री सोमेंद्र तोमर ने एक साजिश के तहत मेरठ जिले के कायस्त गावड़ी गांव में 47 दलितों की जमीनों को खरीद लिया। यह गांव उनके ही विधानसभा क्षेत्र में आता है। जहां यह जमीन खरीदी गई, वहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक इंटीग्रेटेड टाउनशिप का शिलान्यास किया है। मंत्री होने के नाते उन्हें टाउनशिप की जानकारी पहले से थी। इसी का फायदा उठाते हुए उन्होंने अपने धनबल, राजनीतिक रसूख और मंत्री पद का दुरुपयोग कर दलितों की बेशकीमती जमीन को औने-पौने दामों में खरीद लिया।
अंकुश चौधरी ने इस पूरे खेल का पर्दाफाश करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में दलित वर्ग की जमीन खरीदने की एक सख्त प्रक्रिया है। इसके लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी पड़ती है और यह अनुमति केवल दो ही स्थितियों में मिलती है। या तो जमीन मालिक किसी लाइलाज बीमारी जैसे हार्ट या किडनी की समस्या से ग्रसित हो, या फिर वह रोजी-रोटी के लिए उस जिले से विस्थापित हो रहा हो। एसडीएम के यहां आवेदन करना होता है और कई स्तरों पर सत्यापन होता है। लेकिन इस मामले में नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। 28 अगस्त 2024 को एक ही गांव के 11 लोग एसडीएम के पास जमीन बेचने की अनुमति मांगने गए। फिर 2 सितंबर को उसी गांव के 35 और लोग गए।
अंकुश चौधरी ने सवाल उठाया कि गांव में ऐसी कौन सी विपदा या महामारी आ गई थी कि दलित समाज के 47 लोगों को एक साथ अपनी जमीन बेचने की नौबत आ गई? इसके बाद मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने का खेल शुरू हुआ। जिला अस्पताल में 7 सितंबर को 15 लोग और 12 सितंबर को 22 लोग मेडिकल कराने पहुंचे। इसमें 37 लोगों को गंभीर बीमारी का सर्टिफिकेट दे दिया गया और बाकी 9 लोगों को विस्थापित दिखाया गया। अगर कायस्त गावड़ी में दलित समाज के लोग वाकई इतने बीमार थे, तो एक जनप्रतिनिधि होने के नाते मंत्री या डीएम ने उनकी सुध क्यों नहीं ली? क्या वहां कोई महामारी फैली थी? मदद करने के बजाय भाजपा मंत्री ने उनसे उनकी जमीन ही छीन ली।
प्रशासनिक मिलीभगत का जिक्र करते हुए अंकुश चौधरी ने बताया कि जिलाधिकारी की तरफ से एडीएम (ई), ने अनुमति देते वक्त गजब की फुर्ती दिखाई। 10 सितंबर को 18 लोगों को, 11 सितंबर को 6 लोगों को और 13 सितंबर को 22 लोगों को अनुमति मिल गई। कुल 46 लोगों को महज तीन दिनों के भीतर जमीन बेचने की परमिशन दे दी गई। इसके बाद 13 सितंबर 2024 को मंत्री जी ने एक ही दिन में सभी 47 दलित लोगों की जमीनों का बैनामा (रजिस्ट्री) अपने नाम करा लिया। यह साफ तौर पर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग है।
अंकुश चौधरी ने कहा कि इस मामले को लेकर हमने 10 नवंबर 2025 को मेरठ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और सारे सबूत जनता के सामने रखे थे। हमने कोई हवाई आरोप नहीं लगाए, बल्कि जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी की रिपोर्ट और बैनामे की सर्टिफाइड कॉपियां दिखाईं, जिनमें लिखा है कि ये लोग बीमार और पीड़ित हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महामहिम राष्ट्रपति, लोकायुक्त और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत कई जगहों पर इसकी लिखित शिकायत की। परिणाम यह हुआ कि राज्यमंत्री पर तो कोई कार्रवाई नहीं हुई, उल्टा हमें 5 करोड़ रुपये का मानहानि का नोटिस भेज दिया गया।
अंकुश चौधरी ने भाजपा मंत्री सोमेंद्र तोमर को खुली चुनौती देते हुए कहा कि हम सांसद संजय सिंह के सिपाही हैं। हम 5 करोड़ के नोटिस से डरने वाले नहीं हैं, चाहें जितने नोटिस भेज दें। हम जेल जाने और सड़कों पर संघर्ष करने के लिए तैयार हैं, लेकिन बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान में गरीबों और मजलूमों को जो ताकत दी है, हम उसका शोषण नहीं होने देंगे।
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