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Friday, October 24, 2025

ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब ने भारत में लॉन्च किया कोपोज़गो



नित्य संदेश ब्यूरो

नोएडा। ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब (बीएमएस) ने भारत में कोपोज़गो (मावाकैमटेन) लॉन्च करने की घोषणा की है। कोपोज़गो भारत में स्वीकृत पहला ओरल, सिलेक्टिव कार्डियक मायोसिन इनहिबिटर है, जो वयस्कों में सिम्प्टमेटिक न्यूयॉर्क हार्ट एसोसिएशन क्लास 2–3 ऑब्सट्रक्टिव हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी के इलाज के लिए उपलब्ध है।



ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब इंडिया के जनरल मैनेजर और मैनेजिंग डायरेक्टर संजय शर्मा ने कहा भारत में कोपोज़गो के लॉन्च से ओएचसीएम से पीड़ित मरीजों को अब आशाजनक फर्स्ट-इन-क्लास उपचार विकल्प मिला है। यह महत्वपूर्ण खोज उन व्यक्तियों और परिवारों के लिए उम्मीद लेकर आई है, जो इस स्थिति से जूझ रहे हैं। इससे चिकित्सकों को मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक नया विकल्प मिला है। ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब भारत में हृदय संबंधी देखभाल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।” सिम्प्टमेटिक ऑब्सट्रक्टिव एचसीएम प्रायः वंशानुगत हृदय रोग है, जो दीर्घकालिक परिस्थिति की वजह बनता है, जो समय के साथ कमजोर करता है और बढ़ता जाता है। इसमें रोगियों को सांस फूलना, चक्कर आना और थकान जैसे लक्षणों के साथ-साथ गंभीर और जीवन में बदलावों से जुड़ी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे हार्ट फेल्योर, अॅरिथमियाज, स्ट्रोक और दुर्लभ मामलों (~1प्रतिशत) में सडन कार्डियक डेथ। यह बीमारी विश्व स्तर पर लगभग हर 500 में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करती है और अनुमान है कि भारत में लगभग 28 लाख लोग इससे प्रभावित हैं, परंतु 80–90प्रतिशत रोगियों का निदान नहीं हो पाता है।


भारत में मौजूदा चिकित्सीय उपचार जैसे बीटा ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स और डिसोपाइरामाइड लक्षणों को कम करते हैं, लेकिन मूल समस्या का समाधान नहीं करते। इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रियाएँ जैसे सेप्टल रिडक्शन थेरपी (अल्कोहल सेप्टल एब्लेशन या मायेक्टॉमी)  विकल्प हैं, लेकिन सभी मरीजों के लिए यह उपयुक्त या उपलब्ध नहीं होते। इनमें उच्च स्तरीय विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। इस कारण ओएचसीएम का चिकित्सीय प्रबंधन अब भी एक बड़ी आवश्यकता बना हुआ है।  कोपोज़गो, ऑब्स्ट्रक्टिव एचसीएम के मूल पैथोफिज़ियोलॉजिकल मैकेनिज्म को टारगेट करने वाला अपनी श्रेणी का पहला डिसीज-स्पेसिफिक ट्रीटमेंट है, जिससे हृदय की फंक्शनल कैपेसिटी और लक्षणों में सुधार होता है।

मावाकैमटेन को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा 6 मार्च, 2025 को जारी इम्पोर्ट लाइसेंस के साथ अनुमोदित किया गया था। कोपोज़गो अब भारत में रोगियों के लिए उपलब्ध है। भारत में कोपोज़गो को दी गई स्वीकृति टू फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल्स, एक्सप्लोरर-एचसीएम और वैलोर-एचसीएम, के सकारात्मक प्रभावकारिता और सुरक्षा परिणामों पर आधारित है। वैश्विक स्तर पर, मावाकैमटेन को व्यापक मान्यता प्राप्त हुई है। इसका पहला अनुमोदन यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन  द्वारा 28 अप्रैल 2022 को और उसके बाद यूरोपीय संघ द्वारा 26 जून 2023 को दिया गया। तब से अब तक यह दवा 50 से अधिक देशों में मार्केटिंग ऑथराइजेशन प्राप्त कर चुकी है, जो इसे लक्षणात्मक ऑब्सट्रक्टिव हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी के लिए एक वैश्विक महत्व की ब्रेकथ्रू थेरपी बनाता है।  टू फेज 3 क्लिनिकल स्टडीज में, मावाकैमटेन ने एक सुसंगत प्रभावकारिता और सुरक्षा प्रोफ़ाइल दिखाई है। कुछ रोगियों में इजेक्शन फ्रेक्शन (हृदय की पंपिंग क्षमता) में क्षणिक गिरावट देखी गई; हालाँकि, सभी रोगी इस रुकावट के बाद ठीक हो गए।


ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब भारत में पिछले 20 वर्षों से उपस्थित है और वर्तमान में ऑन्कोलॉजी एवं हीमेटोलॉजी में उपचार उपलब्ध करा रहा है। भारत में कोपोज़गो का परिचय ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब की चिकित्सीय पेशकशों का विस्तार है, जो कंपनी की ऑन्कोलॉजी और हीमेटोलॉजी में मजबूत उपस्थिति पर आधारित है। बीएमएस का लक्ष्य भारत के मरीजों तक बेस्ट-इन-क्लास वैश्विक उपचार तेज़ी से पहुँचाना और अधिक से अधिक दवाएँ उपलब्ध कराना है। 

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