नित्य संदेश। नमक हमारे भोजन का अभिन्न हिस्सा है। यह स्वाद बढ़ाता है, भूख जगाता है, और शरीर में सोडियम की कमी को पूरा करता है। किंतु यही नमक, जब सीमाओं से अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है, तो धीरे-धीरे शरीर के भीतर ज़हर की तरह असर दिखाने लगता है।
*नमक का अत्यधिक सेवन: एक मौन हत्यारा**
जन्म से लेकर लगभग 40 वर्ष की आयु तक, व्यक्ति लगातार नमक का सेवन करता रहता है। परंतु अधिक मात्रा में लिया गया नमक शरीर के अंगों को धीरे-धीरे नुकसान पहुँचाता है। यह प्रभाव तुरंत नहीं दिखता, लेकिन समय के साथ यह कई गंभीर बीमारियों के रूप में सामने आता है।
* *उच्च रक्तचाप (Hypertension)**
* *हृदय रोग (Heart Disease)**
* *स्ट्रोक (Stroke)**
* *किडनी फेल्योर (Kidney Failure)**
* *सूजन, मोटापा और जल प्रतिधारण (Water Retention)**
ये रोग व्यक्ति की कार्यक्षमता को घटाते हैं, जीवन की गुणवत्ता को कम करते हैं और अंततः अकाल मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
*क्यों ज़रूरी है नमक पर नियंत्रण**
हमारे शरीर को प्रतिदिन लगभग 5 ग्राम (एक चम्मच) से अधिक नमक की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन आधुनिक जीवनशैली, पैक्ड फूड, फास्ट फूड और प्रसंस्कृत भोजन के कारण यह मात्रा कई गुना बढ़ जाती है।
धीरे-धीरे यह आदत बन जाती है — और यही आदत हमें बीमारियों के रास्ते पर ले जाती है।
*स्वास्थ्य के लिए सरल मंत्र**
* भोजन में नमक कम करें, पर स्वाद में जीवन भर मिठास रखें।
* तैयार खाद्य पदार्थों (चिप्स, अचार, नमकीन, फास्ट फूड) से दूरी बनाएं।
* घर के भोजन में “कम नमक, अधिक सब्ज़ियाँ और फल” को अपनाएँ।
* नियमित व्यायाम करें और पानी अधिक पिएँ।
निष्कर्ष
नमक जीवन के लिए आवश्यक है, परंतु इसका अतिरेक जीवन के लिए घातक है। “स्वाद कुछ पल का होता है, लेकिन असर जीवन भर रहता है।” संतुलित नमक का सेवन ही दीर्घायु और स्वस्थ जीवन का रहस्य है।
**संदेश:**
नियंत्रण ही संरक्षण है। नमक कम करें — जीवन बढ़ाएँ।
प्रोफेसर (डॉ) अनिल नौसरान
No comments:
Post a Comment