नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ: आर्थराइटिस एक आम बीमारी है जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह एक डिजेनरेटिव जॉइंट डिज़ीज़ है जिसमें जोड़ों के बीच मौजूद चिकनी कार्टिलेज धीरे-धीरे घिस जाती है। कार्टिलेज के खत्म होने से जोड़ों में दर्द, अकड़न, सूजन और मूवमेंट में कमी आ जाती है, जिससे व्यक्ति के दैनिक जीवन और उसकी जीवन-गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
हालांकि आर्थराइटिस आमतौर पर 50 वर्ष की उम्र के बाद देखने को मिलता है, लेकिन यह चोट, आनुवंशिक कारणों या अधिक वजन की वजह से पहले भी हो सकता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस इसका सबसे आम प्रकार है, जो धीरे-धीरे बढ़ता है और चलना, सीढ़ियाँ चढ़ना या कुर्सी से उठना जैसी सामान्य गतिविधियाँ भी कठिन बना देता है। इस बीमारी का आर्थिक असर भी बड़ा है क्योंकि यह इलाज के खर्च और कार्यक्षमता की कमी दोनों से जुड़ा है।
मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के ऑर्थोपेडिक्स, जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के चेयरमैन एवं  रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के चीफ,डॉ. रमणीक महाजन ने बताया कि “आर्थराइटिस का अर्थ है जोड़ों में सूजन। ऑस्टियोआर्थराइटिस तब होता है जब कार्टिलेज घिस जाती है। इसके मुख्य कारणों में बढ़ती उम्र, मोटापा, पुरानी चोटें, आनुवंशिक प्रवृत्ति और काम या खेल से बार-बार होने वाला दबाव शामिल हैं। घुटने, कूल्हे और कंधे के जोड़ों में यह सबसे अधिक देखा जाता है। यदि आपको लगातार जोड़ों में दर्द, सुबह की अकड़न, सूजन, दैनिक कार्यों में कठिनाई, मूवमेंट की कमी या नींद में बाधा जैसी शिकायतें हैं, तो तुरंत ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। शुरुआती इलाज से बीमारी की प्रगति को धीमा किया जा सकता है और लक्षणों में राहत मिल सकती है। सर्जरी से पहले, डॉक्टर अक्सर वजन नियंत्रण, स्विमिंग या साइक्लिंग जैसी लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज, फिजियोथेरेपी, दर्द निवारक दवाइयाँ, जॉइंट इंजेक्शन, ब्रेस या वॉकिंग एड्स और ग्लूकोसामीन या कॉन्ड्रॉयटिन जैसे सप्लीमेंट्स की सलाह देते हैं। कई मरीजों को इन उपायों से ही पर्याप्त राहत मिल जाती है।“
जब नॉन-सर्जिकल तरीकों से राहत नहीं मिलती और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है, तब जॉइंट रिप्लेसमेंट की जरूरत होती है। लगातार तेज दर्द, नींद में बाधा, सीमित गतिशीलता, दैनिक कार्यों में कठिनाई और एक्स-रे में बोन-ऑन-बोन डैमेज दिखना इसके प्रमुख संकेत हैं।
डॉ. रमणीक ने आगे बताया कि  “यूनिकॉन्डायलर नी रिप्लेसमेंट (UKR) में केवल प्रभावित हिस्से को बदला जाता है – चाहे वह अंदरूनी, बाहरी या नी-कैप क्षेत्र हो। इसमें छोटा चीरा, तेज रिकवरी और स्वस्थ ऊतकों का संरक्षण जैसे लाभ होते हैं। हालांकि, यह केवल उन्हीं मरीजों के लिए उपयुक्त है जिनका आर्थराइटिस एक हिस्से तक सीमित है और लिगामेंट्स मजबूत हैं। टोटल नी रिप्लेसमेंट (TKR) में जांघ की हड्डी, पिंडली की हड्डी और कभी-कभी नी-कैप के पीछे का हिस्सा धातु और प्लास्टिक से बदल दिया जाता है। यह उन मरीजों के लिए आदर्श है जिनका आर्थराइटिस कई हिस्सों को प्रभावित कर चुका है। आधुनिक इम्प्लांट्स 15 से 20 साल या उससे अधिक समय तक टिक सकते हैं।“
नेविगेशन-असिस्टेड सर्जरी में कंप्यूटर और ट्रैकर की मदद से सर्जन इम्प्लांट्स को सही स्थिति और एलाइनमेंट में लगाते हैं, जैसे किसी GPS सिस्टम की तरह। रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी इससे एक कदम आगे है, जिसमें सर्जन इमेजिंग की मदद से सर्जरी की विस्तृत योजना बनाता है और फिर रोबोटिक आर्म की सहायता से सब-मिलीमीटर प्रिसिशन के साथ बोन कट्स किए जाते हैं। यह सिस्टम सर्जन को योजना से भटकने नहीं देता और पूरी सर्जरी को अत्यंत सटीक बनाता है।
रोबोटिक सर्जरी से सटीकता बढ़ती है, इम्प्लांट का कस्टमाइजेशन संभव होता है, स्वस्थ हड्डियों को बचाया जा सकता है, जॉइंट एलाइनमेंट बेहतर होता है, रिकवरी तेज होती है और इम्प्लांट की उम्र बढ़ने की संभावना होती है। हालांकि, इसमें ऑपरेशन का समय थोड़ा अधिक लग सकता है और लागत व तकनीकी उपलब्धता पर भी निर्भर करता है। सामान्य सर्जिकल रिस्क जैसे संक्रमण, ब्लीडिंग या एनेस्थीसिया से जुड़े खतरे भी मौजूद रहते हैं।
डॉ. रमणीक का कहना है कि “अधिकांश मरीज जो जॉइंट रिप्लेसमेंट के लिए योग्य हैं, वे रोबोटिक सर्जरी के लिए भी उपयुक्त होते हैं। सर्जन आपके जोड़ों की स्थिति, शरीर रचना, स्वास्थ्य और अपेक्षाओं का मूल्यांकन कर सर्वोत्तम विकल्प सुझाते हैं। जटिल मामलों में रोबोटिक तकनीक विशेष रूप से लाभकारी साबित हो सकती है। मरीज आमतौर पर सर्जरी के 24 घंटे के भीतर चलना शुरू कर देते हैं, तीन महीने में अधिकांश दैनिक कार्य करने लगते हैं और छह से बारह महीनों में पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं। रोबोटिक सिस्टम की सटीकता इम्प्लांट की दीर्घायु को बढ़ा सकती है, हालांकि इसके दीर्घकालिक आंकड़े अभी अध्ययनाधीन हैं।“
अपने सर्जन से पारंपरिक, नेविगेशन-असिस्टेड और रोबोटिक तकनीकों में उनके अनुभव के बारे में चर्चा करें। साथ ही केस की जटिलता, तकनीक की उपलब्धता, लागत, संभावित परिणाम और आपकी प्राथमिकताओं पर भी विचार करें। अंततः, सबसे महत्वपूर्ण कारक एक अनुभवी और विश्वसनीय सर्जन का चयन है, जो आपकी आवश्यकताओं के अनुसार सर्वोत्तम निर्णय ले सके।
 
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