नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने एक बार फिर सामाजिक उत्तरदायित्व का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित "टीबी मुक्त भारत अभियान 2025" को साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठाते हुए 70 टीबी मरीजों को गोद लिया है। इस अभियान के अंतर्गत विश्वविद्यालय के 70 शिक्षक अब इन मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी निभाएंगे। प्रत्येक शिक्षक एक-एक मरीज को गोद लेकर हर माह उनकी दवाई और पौष्टिक खाद्य सामग्री उपलब्ध कराएंगे।
इस पहल से न केवल मरीजों को चिकित्सा और पोषण संबंधी सहायता मिलेगी, बल्कि उन्हें मानसिक संबल और बीमारी से लड़ने का आत्मविश्वास भी प्राप्त होगा। समाज में अक्सर टीबी मरीजों को उपेक्षा और सामाजिक दूरी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सीसीएसयू की यह पहल उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने और मानवीय संवेदनाओं को प्रबल करने का एक सशक्त प्रयास है।
कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि समाज के कमजोर और वंचित वर्ग के लोगों तक पहुँचकर उनकी बीमारी और पोषण की समस्या का समाधान करना शिक्षकों का नैतिक दायित्व है। सीसीएसयू परिवार ने इस दायित्व को स्वीकार कर मानवता की सेवा का जो बीड़ा उठाया है, वह न केवल एक प्रेरक उदाहरण है, बल्कि समाज के सभी वर्गों को भी प्रेरित करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय केवल शैक्षणिक क्षेत्र तक सीमित न रहकर समाज के लिए उपयोगी कार्यों में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। यह पहल साबित करती है कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल ज्ञान देना ही नहीं, बल्कि समाज को बेहतर बनाने में योगदान करना भी है। इस अभियान के माध्यम से विश्वविद्यालय का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी सहायता तक सीमित नहीं है। इसके अंतर्गत मरीजों को नियमित रूप से स्वास्थ्य संबंधी परामर्श देना, उनके परिवारों को जागरूक करना और समाज में टीबी जैसी बीमारी को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर करना भी शामिल है। विश्वविद्यालय की ओर से जल्द ही जागरूकता शिविर और स्वास्थ्य कार्यशालाओं का आयोजन करने की भी योजना है।
टीबी मुक्त भारत अभियान का संदर्भ
भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। टीबी (क्षय रोग) आज भी भारत में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में हर साल लाखों नए मरीज सामने आते हैं। पोषण की कमी और जागरूकता की कमी इस बीमारी के प्रसार का प्रमुख कारण हैं। ऐसे में सामाजिक संस्थानों और शैक्षणिक संगठनों की भागीदारी अहम है।
सीसीएसयू का योगदान क्यों है खास?
जहां अधिकांश लोग और संस्थान सरकार की योजनाओं पर निर्भर रहते हैं, वहीं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने योगदान देने का संकल्प लेकर एक नई मिसाल कायम की है। इससे न केवल मरीजों को सीधे लाभ मिलेगा, बल्कि समाज में भी यह संदेश जाएगा कि हम सभी मिलकर टीबी जैसी बीमारी को खत्म कर सकते हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार ने सभी नागरिकों से भी अपील की है कि वे अपने आस-पास टीबी मरीजों की पहचान कर उन्हें संबल दें और सरकार के टीबी उन्मूलन अभियान में सहयोगी बनें।
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