-दस लक्षण पर्व हुआ संपन्न, पांडुकशिला पर
विराजमान किए गए भगवान
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। दस लक्षण पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य का पर्व
दिगंबर जैन मंदिर आनंदपुरी में धूमधाम से मनाया गया। सर्वप्रथम भगवान श्री
शांतिनाथ भगवान, मुनि सुव्रत नाथ भगवान
एवं श्री वासुपूज्य भगवान को पांडुकशिला पर विराजमान कर अभिषेक तथा शांति धारा की
गई।
तत्पश्चात देव शास्त्र गुरु, दस लक्षण पर्व पूजा एवं सोलह कारण भावना पूजा की गई, वासु पूज्य भगवान की
पूजा करके 70 किलो का लाडू चढ़ाया
गया। उसके बाद अर्हम चक्र महामंडल विधान किया गया,
जिसमें मांडले पर 421 अर्घ समर्पित किए गए।
तत्वार्थ सूत्र के पांच अध्याय के अर्घ अर्पित किए गए। सभी क्रियाएं पंडित नंदन
शास्त्री द्वारा संपन्न कराई गई। शाम को सामूहिक आरती की गई, उसके बाद पंडित नंदन
शास्त्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि ब्रह्मचर्य का अर्थ है, अपनी
आत्मा में चर्या करना, यानी आत्मा में रमन करना, लोकिक अर्थो में इसका
शारीरिक सुख से संबंध माना जाता है, यदि हम इसे भोगों से जोड़ दें तो
संतान की उत्पत्ति होती है और यदि हम इसे अध्यात्म से जोड़ दे, अपनी आत्मा में रमण
करें तो मोक्ष की तरफ गमन होता है। इस मौके पर सुनील जैन प्रवक्ता, अरुण जैन, अचल जैन, सत्येंद्र जैन, अभिषेक
जैन, आशु जैन तथा संचित जैन आदि ने सहयोग किया। मुनी
प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि रविवार को विधान संपन्न होगा
तथा हवन में मंत्रों की आहुति दी जाएगी।
भगवान की रथ यात्रा का आयोजन किया
जैन धर्म के विशेष पर्व अनंत चतुर्दशी पर तीरगरान स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर
से भगवान की रथ यात्रा का आयोजन किया गया। रथ यात्रा बजाजा, सर्राफा बाजार, वैली बाजार, घंटाघर, जैन धर्मशाला, रेलवे रोड होते हुए जैन
मंदिर, जैन बोर्डिंग हाउस पर
पहुंची, जहां पर उसका भव्य स्वागत किया गया। मार्ग में जगह जगह भगवान की आरती
उतारी गई और स्वागत किया गया। भक्तों ने जगह-जगह फल, नाश्ता
और जल का वितरण किया। पूरा शहर तोरण द्वार, ध्वजा तथा मालाओं से
सुसज्जित किया गया।
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