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Wednesday, June 18, 2025

भारतवर्ष सबसे बड़ा तीर्थ, देवता भी यहाँ जन्म लेना चाहते हैं: त्रिपाठी

 



नित्य संदेश ब्यूरो

मेरठ। बुधवार को मयूर विहार में अपने आवास पर प्रो. सुधाकराचार्य त्रिपाठी ने तीर्थ भागवत महापुराण कथा में भरत के वंश की कथा में आने वाले तीर्थों के बारे में बताया।


भरत के वंश में गया नामक चक्रवर्ती सम्राट हुए, जिन्हें विष्णु का अवतार भी कहा जाता है। उन्होंने फल्गु नदी के तट पर पेट के बल लेट कर तपस्या की। आज वहाँ सभी लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं, जिससे वे भवसागर से तर जाते हैं, अतः वह तीर्थ है। तपस्वी भरत के कर्मक्षेत्र के कारण ही भारतवर्ष, उसके पर्वत, नदियाँ, नगर सभी तीर्थ हैं। देवता भी यहाँ जन्म लेना चाहते हैं, भागवत में भारत के पर्वत, नदियों का उल्लेख है। नरक को लोग अकारण गलत मानते हैं। नरक वास्तव में वह तरणमार्ग है, जिससे लोग अपने कर्मफल को भोग कर तर जाते हैं, इसलिए वह भी तीर्थ है। अजामिल की कथा में कान्यकुब्ज (कन्नौज) तीर्थ की कथा हुई।


अवधूत अजगर और प्रह्लाद के प्रसंग में कावेरी तीर्थ का वर्णन हुआ। तीर्थ बनने में विरोधी है ग्राम्येहा-पशुवृत्ति। सत्य, दया, तप, शौच आदि 25 तत्त्व तीर्थ का निर्माण करते हैं। गजपति ग्राह की कथा में त्रिकूट पर्वत तीर्थ का वर्णन हुआ। अमृत मन्थन तक के तीर्थों की कथा हुई। गुरुवार को कृतमाला नदी से लेकर हस्तिनापुर और मथुरा तक के तीर्थों की कथा होगी।

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