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Thursday, June 19, 2025

स्वामी कर्मवीर महाराज का संदेश : योग और प्राणायाम से करें मन, शरीर और जीवन को शांत, स्वस्थ और सशक्त


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में चल रहे योग शिविर में प्रख्यात योगाचार्य स्वामी कर्मवीर महाराज ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि योग केवल शारीरिक अभ्यास का नहीं, बल्कि समग्र जीवन व्यवहार का नाम है।

स्वामी जी ने कहा कि योग का वास्तविक अर्थ है – जीवन में समत्व भाव, संयम, आचरण की पवित्रता और कथनी-करनी की समानता को अपनाना। उन्होंने कहा कि जब विचार और व्यवहार में समानता होती है, तब ही व्यक्ति मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय परंपरा में योग और प्राणायाम को आत्म-विकास का माध्यम माना गया है। प्राणायाम से मन शांत होता है, क्रोध और तनाव समाप्त होता है, और चिंतन शक्ति बढ़ती है। हमें कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए, स्वामी जी ने कहा, क्योंकि क्रोध हमारी ऊर्जा को नष्ट करता है और विवेक को भ्रमित करता है। स्वामी जी ने सभी से आग्रह किया कि हर कार्य को ईश्वर को साक्षी मानकर समर्पण भाव से करें। इससे जीवन में संतुलन, मर्यादा और संतोष की अनुभूति होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि योग केवल आसनों तक सीमित नहीं है। योग हमारे सोचने, समझने और जीने के तरीके को भी प्रभावित करता है। सत्यनिष्ठा, परिशुद्ध आचरण और सेवा भाव योग के मूल स्तंभ हैं।
स्वामी जी ने बताया कि नियमित रूप से प्रातः और सायं किए जाने वाले सात सूत्रीय प्राणायाम — नाड़ी शुद्धि, अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी, उद्गीथ, उज्जायी और प्राणव प्रार्थना — शरीर और मस्तिष्क को रोगों से मुक्त रखने में अत्यंत लाभकारी हैं। विशेषकर कान के रोगों, सिरदर्द और मानसिक असंतुलन में यह अत्यंत प्रभावशाली है। स्वामी जी ने “महायोग क्रिया” को योग का विशेष अभ्यास बताया, जो न केवल शारीरिक बल्कि हार्मोनल संतुलन में भी सहायक है। उज्जायी प्राणायाम — यह क्रिया थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करती है और ऊँचाई बढ़ाने (height growth) तथा मेटाबोलिज्म सुधारने में सहायक है। संवाग्ग्रासून क्रिया — यह पिट्यूटरी ग्रंथि को प्रभावित करती है, जिससे शरीर की अंतःस्रावी ग्रंथियाँ संतुलित होती हैं।कणरोगातक क्रिया — यह कान, आंख और चेहरे के विकारों में उपयोगी है। स्वामी जी ने ध्यान और दीप जागृति के विशेष अभ्यास को भी शिविर का अभिन्न हिस्सा बताया। 

उन्होंने कहा कि ये अभ्यास मानसिक शांति, अंतर्दृष्टि और आत्मविकास की दिशा में अत्यंत उपयोगी हैं। स्वामी जी ने वैदिक मंत्र “जीवेम शरदः शतम्” का उल्लेख करते हुए कहा कि — हम सौ वर्षों तक जिएं, लेकिन वह जीवन केवल लंबा नहीं, बल्कि पूर्णतः स्वस्थ, शांत और संतुलित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के समय में जब मानसिक तनाव, अव्यवस्थित जीवनशैली और रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है, ऐसे में योग और प्राणायाम ही मानवता के लिए आशा की किरण हैं। अंत में स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने सभी से आह्वान किया कि वे योग को केवल एक दिन की गतिविधि न मानें, बल्कि उसे प्रतिदिन के जीवन में शामिल करें और स्वयं के साथ-साथ पूरे समाज को स्वस्थ, जागरूक और सशक्त बनाने का संकल्प लें।

इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला प्रति कुलपति प्रोफेसर मृदुल कुमार गुप्ता कुलसचिव डॉक्टर अनिल कुमार यादव वित्त अधिकारी रमेश चंद्र ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ सोमेंद्र तोमर प्रोफेसर वीरपाल सिंह प्रोफेसर राकेश कुमार शर्मा प्रोफेसर केके शर्मा प्रोफेसर बिंदु शर्मा, डॉक्टर गुलाब सिंह रुहल, डॉक्टर वैशाली पाटील, मीडिया सेल सदस्य मितेंद्र कुमार गुप्ता इंजीनियर प्रवीण पवार अश्वनी गुप्ता , डॉक्टर संदीप त्यागी, राजन कुमार मनीष कुमार आदि मौजूद रहे।

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