नई दिल्ली। पर्यावरण दिवस के अवसर पर भगत चन्द्रा अस्पताल के कान्फ्रेंस हाल, महावीर एन्क्लेव पार्ट 2 में 6 पुस्तकों का विमोचन हुआ।
वरिष्ठ साहित्यकार, सम्पादक, प्रतिष्ठित कवि डॉ. विनय कुमार सिंघल 'निश्छल' की गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पर्यावरणविद् व कवि डॉ. सीपी भगत ने की। जय प्रकाश आजाद विशिष्ट अतिथि रहे, कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. अमिता दुबे (प्रधान संपादक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान) रहीं। डॉ. नमिता राकेश (राजपत्रित अधिकारी सेवा -निवृत्त) वरिष्ठ साहित्यकार की उपस्थिति ने मंच को सुशोभित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ वीणापाणी शारदा के चरणों में पुष्प समर्पित कर माल्यार्पण द्वारा हुआ। सरस्वती वंदना डॉ. वीणा शंकर शर्मा 'चित्रलेखा' ने स्वरचित वंदना के सस्वर पाठ से की। प्रेरणा दर्पण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच और साहित्य -24 के सौजन्य से पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर जिन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ उनमें 'पर्यावरण उवाच' साझा काव्य संकलन का लोकार्पण 26 कवियों की चार-चार कविताओं से सुसज्जित के सम्पादक डॉ. विनय कुमार सिंघल 'निश्छल', सह-संपादिका डॉ. नमिता राकेश ने किया।
'कविता अव्याहत' साझा, काव्य संकलन का लोकार्पण 31कवियों की तीन-तीन कविताओं से सुसज्जित संकलन, सम्पादक डॉ. विनय कुमार सिंघल 'निश्छल' एवं सह-संपादिका कामिनी श्रीवास्तव ने किया। 'मैं सफ़र में हूॅं ' यात्रा -संस्मरण डॉ. नमिता राकेश की पुस्तक, 'अंक ज्योतिष' लेखक ब्रज भूषण तिवारी की पुस्तक, 'जिंदगी के रंग' डॉ.राधा बिष्ट की पुस्तक एवं 'काव्य -पूर्णाहुति' त्रयी काव्य संकलन की 33वीं एवं अन्तिम कड़ी, लेखक त्रयी डॉ. विनय कुमार सिंघल 'निश्छल', लेखिका डॉ. वीणा शंकर शर्मा 'चित्रलेखा' व लेखिका अंजू कालरा दासन 'नलिनी' की पुस्तक अर्थात् छः पुस्तकों का विमोचन हुआ।
वरिष्ठ पर्यावरणविद् व कवि डॉ. सी .पी भगत ने पर्यावरण पर रोचक वार्ता प्रस्तुत की। डॉ. अमिता दुबे ने यात्रा संस्मरण 'मैं सफ़र में हूॅं' पर विस्तार से चर्चा की और पुस्तक की समीक्षा की। ललित कुमार सक्सेना 'राही' जी प्रसिद्ध साहित्यकार, संगीतकार व ज्योतिष मार्तंड ने 'कविता अव्याहत' पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। 'अंक ज्योतिष' पर नीता त्रिपाठी जी ने पुस्तक का विश्लेषण सुरुचिपूर्ण ढंग से किया।
'काव्य पूर्णाहुति' त्रयी काव्य संकलन की 33वीं व अन्तिम कड़ी तक पहुँचने की यात्रा एवं साहित्य में त्रयी की अभूतपूर्व उपलब्धि व हिन्दी साहित्य में एक नवीन प्रयोग 'त्रयीवाद' पर डॉ. वीणा शंकर शर्मा 'चित्रलेखा' ने विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला।
विशिष्ट अतिथि जी को बीच में ही किसी कारण वश जाना पड़ा अतः उद्बोधन में उन्होंने निरन्तर सृजन और साहित्य की सेवा के लिए सभी सरस्वती साधकों की भूरि -भूरि प्रशंसा की। आयोजन के सूत्रधार प्रकाशक श्री हरि प्रकाश पांडेय जी ने कभी शीतल पेय एवं कभी चाय नाश्ते से कार्यक्रम को बहुत ही आतिथ्यपूर्ण स्वरूप प्रदान किया। कार्यक्रम का अन्तिम चरण बहुत ही आनन्द और ऊर्जा प्रदान करने वाला रहा ।एक से बढ़कर एक कविताओं का पाठ हुआ। अधिकतर रचनाएँ पर्यावरण पर ही सुनाई गईं किन्तु जो कुछ अलग विषयों पर थीं उन्होंने तो नवरसों की धारा ही प्रवाहित कर दी, सुंदर काव्य पाठ मन को मोहित कर गया।
डॉ. विनय कुमार सिंघल 'निश्छल' के सुंदर मुक्तक एवं सुनील हापुड़िया की व्यंग्य रचना से सभागार ठहाकों और करतल ध्वनि से गूंज गया, हरि कृष्ण कश्यप 'उमंग' की कविता का रसास्वादन तो अनिर्वचनीय था, डॉ. नमिता राकेश की रचना ने अपना विशेष प्रभाव छोड़ा, आगरा से आईं राज चौहान की कविता हृदय को छू गई सभागार करतल ध्वनि से गूंजायमान हो गया, डॉ. वीणा शंकर शर्मा चित्रलेखा की कविता ने सभी को सम्मोहित सा कर दिया, डॉ. धनंजय शर्मा,की नदी उदास है, बृजेश कुमार गिरि की रचना बरगद का भूत, अंजू कालरा दासन की रचना ने बहुत सुन्दर संदेश प्रस्तुत किया, सीमा कौशिक, राकेश नमित जी, डॉ. अमिता दुबे जी के काव्य पाठ और वृक्ष का संदेश देते ज्ञान सिंह 'मुसाफ़िर' जी ने अंत में नफ़रत में कुछ नहीं है तुम प्यार करके देखो का संदेश गाकर समा बांध दिया। कुछ वरिष्ठ कवियों का काव्य पाठ त्रुटिवश रह गया अन्यथा बहुत सुन्दर आयोजन रहा।
काव्य पाठ के तदन्तर कुछ कवियों को सम्मानित किया गया , प्रमाण पत्र एवं पुस्तकों की प्रतियां दी गईं,अंत में स्वादिष्ट भोजन के उपरांत सभा का समापन बहुत ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुआ। सम्पूर्ण कार्यक्रम अविस्मरणीय रहा। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन बहुत ही सुन्दर एवं व्यवस्थित ढंग से कुलदीप कौर जी ने किया। सम्पूर्ण आयोजन श्री हरि प्रकाश पांडेय जी के अथक श्रम, ऊर्जा व साहित्य को समर्पित उनकी भूमिका की कथा स्वयं कह रहा था व 'एकला चलो रे' को सार्थक कलेवर दे रहा था। उनका उद्बोधन भी संज्ञेय व प्रेरणादायक था।
No comments:
Post a Comment