उर्दू विभाग, सीसीएसयू ने अदबनुमा के तहत “अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद की साहित्यिक सेवाएं” विषय पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। 'अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद' एक राष्ट्रवादी संगठन है। 1947 के स्वतंत्रता संग्राम में 'अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद' का कार्यालय जला दिया गया था, जिससे संगठन को काफी नुकसान हुआ था। वह समय संगठन के लिए अनुकूल नहीं था। डॉ. जाकिर हुसैन साहब ने 2.25 मिलियन हस्ताक्षर प्राप्त किए ताकि उर्दू को बढ़ावा मिल सके और कार्यालय और अकादमियां स्थापित की जा सकें। यह उद्गार थे प्रख्यात विद्वान एवं बुद्धिजीवी डॉ. अतहर फारूकी के, जो चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग एवं इंटरनेशनल यंग उर्दू स्कॉलर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित “अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद की साहित्यिक सेवाएं” विषय पर कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अपना वक्तव्य दे रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि जब वे 2012 में यहां आए थे, तब कई आर्थिक समस्याएं थीं। लेकिन अब यहां डिजिटल लाइब्रेरी आदि कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। । आज एसोसिएशन की सभी पुस्तकें अमेजन के माध्यम से आसानी से उपलब्ध हैं। इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन सईद अहमद सहारनपुरी ने पवित्र कुरान की तिलावत से किया। अध्यक्षता प्रोफेसर सगीर अफराहीम पूर्व अध्यक्ष उर्दू विभाग एएमयू अलीगढ़ की रही, डॉ. अतहर फारूकी [आईयूएसए तरक़ी उर्दू हिंद, नई दिल्ली] एवं 'सैबान' और 'जर्नलिज्म टुडे' के संपादक जावेद रहमानी ने अतिथि के रूप में भाग लिया तथा वक्ता के रूप में आयुसा की अध्यक्ष प्रोफेसर रेशमा परवीन लखनऊ से ऑनलाइन उपस्थित रहीं। डॉ. शादाब अलीम ने स्वागत भाषण दिया, डॉ. आसिफ अली ने अतिथियों का परिचय कराया तथा डॉ. इब्राहीम अफसर ने संचालन किया।
कार्यक्रम का परिचय देते हुए डॉ. इरशाद स्यानवी ने कहा कि 'अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद' की साहित्यिक सेवाओं से साहित्यिक जगत भली-भांति परिचित है। 1903 से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन तक इसने जो बहुमूल्य सेवाएं दीं, वे अविस्मरणीय हैं। इस आंदोलन ने भारत में उर्दू भाषा और साहित्य को वह उच्च स्थान दिलाया, जहां दुनिया की अन्य भाषाएं पहुंचीं। आज भी उर्दू साहित्य का एक बड़ा वर्ग अंजुमन तरक्क़ी उर्दू हिंद की सेवाओं से लाभान्वित हो रहा है।
प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 'अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद' एकमात्र ऐसी संस्था है जो आजादी से भी पहले स्थापित हुई और जिसने महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इस संस्था का कार्य पूरे भारत में और भारत के कई शहरों में फैला हुआ है। संस्था ने उर्दू के अस्तित्व और संरक्षण के लिए अलग से काम किया। संस्था ऐसे काम कर रही है जो अपने आप में बिल्कुल अनूठा है। संस्था के कामों के लिए उनके प्रयासों की सराहना हो रही है। जावेद रहमानी ने कहा कि संस्था के यूट्यूब चैनल पूरी दुनिया में देखे जाते हैं और संस्था से पूरी दुनिया को फायदा हो रहा है। संस्था पहले उर्दू भाषा की समस्याओं को समझती है और फिर उनका समाधान करती है। सोशल मीडिया और यूट्यूब पर करीब 10 लाख लोग संस्था के कामों से फायदा उठा रहे हैं।
अतहर फारूकी साहब ने जब से संस्था की कमान संभाली है तब से यहां कई सुविधाओं का इंतजाम किया गया है, खासकर छात्रों के लिए। प्रोफेसर रेशमा परवीन ने कहा कि मुझे आज बहुत खुशी है कि अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद की सेवाएं जो पूरे भारत में फैली हुई हैं, आज के कार्यक्रम के जरिए प्रदर्शित हुईं। मैं अतहर फारूकी साहब और जावेद रहमानी साहब का भी आभारी हूँ कि उन्होंने हमारे आयुसा के कार्यक्रम के लिए समय निकाला और अंजुमन तरक्क़ी उर्दू हिंद के साथ उर्दू के प्रचार-प्रसार के लिए अपनी सेवाओं से हमें अवगत कराया। इस अवसर पर शोधार्थी शाहेज़मन और सैयदा मरियम इलाही ने भी डॉ. अतहर फारूकी से उर्दू से संबंधित प्रश्न पूछे।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर सगीर अफ्राहीम ने कहा कि अतहर फारूकी उर्दू की एक सक्रिय शख्सियत हैं। अंजुमन तरक्क़ी उर्दू हिंद उर्दू के साथ-साथ अंग्रेजी अनुवाद पर भी बेहतरीन काम कर रही है। यह भी सच है कि अगर हमें उर्दू के साथ-साथ अंग्रेजी नहीं आती तो हमें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आज के परिप्रेक्ष्य में अंजुमन तरक्क़ी उर्दू हिंद की सेवाएं सराहनीय हैं। अतहर फारूकी और जावेद रहमानी जैसी शख्सियतें उर्दू के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण काम कर रही हैं और अंजुमन की सेवाएं पूरे भारत में फैली हुई हैं। कार्यक्रम से डॉ. इफ्फत ज़किया, डॉ. फराह नाज़, मुहम्मद शमशाद और छात्र जुड़े थे।
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