नित्य संदेश एजेंसी
मेरठ। जनपद के एक गांव में अनूठा आयोजन देखने
को मिला। एक किसान ने अपनी गाय की मृत्यु पर तेरहवीं (गौराष्टी) का कार्यक्रम
आयोजित किया। किसान ने तेरहवीं में पूरे गांव को आमंत्रित किया, साथ ही बजरंग दल के पदाधिकारियों को भी न्योता दिया।
तेरहवीं भोज में पूरे गांव के हिसाब से 400 लोगों के लिए भोजन बनवाया। तेरहवीं को लेकर किसान बोला- हम जिस दिन से गाय को
अपने घर लाए थे, उस दिन से अभी तक हमारे यहां
खूब बरक्कत हो रही है। लक्ष्मी से सभी को दिली लगाव था। रिश्तेदार और पड़ोसी भी
गाय को बहुत मानते थे। शिवकुमार त्यागी (60), ललतेश (55) जो सरधना के काकेपुर गांव में
रहते हैं। जो कि किसान है। बड़ा बेटा नीकुंज प्राइवेट कंपनी में काम करता है। बेटी
दीपा त्यागी की शादी हापुड़ में हो गई है। छोटा बेटा शुभम एक डेयरी चलाता है। शिवकुमार ने बताया- हम 10 अप्रैल 2017 को एक गाय घर पर लाए थे। हमें उसका नाम लक्ष्मी रखा
था। वो एक दिन में 8-10 लीटर दूध देती थी। जिसके बाद
हमने एक डेयरी खोली थी। इसे शुभम देखता था। लक्ष्मी के आने के बाद से हमारी दिन दूनी रात चौगुनी बरक्कत होने लगी थी। इस एक
गाय के आने के बाद से अभी तक हमारी डेयरी में 12 भैंसे और 2 गाय हैं। जब हम लक्ष्मी को लाए थे, तो वो एक बार ब्याह (यानी एक बच्चे को जन्म दे) चुकी
थी। उसके बाद में उसने 5 बच्चे को जन्म दिया। जो हमने
दान में दे दिए।
लक्ष्मी कई दिनों से बीमार थी
शिवकुमार ने बताया- हमारी लक्ष्मी कई दिनों से बीमार थी। तमाम डॉक्टरों को घर
पर बुलाया। लगभग 2-3 महीने लगातार इलाज चला, लेकिन कोई
फायदा नहीं हुआ। शिवकुमार ने बताया- ये गाय 10 साल से हमारे यहां थी। ये सिर्फ गाय नहीं थी, बल्कि हमारे परिवार की सदस्य थी। जब लक्ष्मी नहीं रही, तो पूरे घर में मातम का माहौल छा गया। हमें ऐसा लग
रहा था, जैसे हमारे घर का कोई सदस्य
हमसे दूर हो गया। लक्ष्मी के जाने के दुख आस-पास
के लोगों को भी था। क्योंकि लक्ष्मी को सब खिलाते-पिलाते थे। उसकी पूजा करते थे।
वो बहुत सीधी और शान्त स्वभाव की थी। तो जब लक्ष्मी का देहान्त हो गया, तो हम लोगों ने लक्ष्मी की
तेरहवीं करने की सोची। पहले रीति-रिवाजों से उसे अंतिम विदाई दी। फिर 13वें दिन तेरहवीं के आयोजन का निमंत्रण पूरे गांव में
दिया। साथ ही बजरंग दल के सदस्यों को भी निमंत्रण दिया।
विधि-विधान के साथ पूरे परिवार के सदस्यों ने पूजा की
कार्यक्रम में बजरंग दल के जिला मंत्री संचित शर्मा, जिला सह सुरक्षा प्रमुख बसंत, जिला विद्यार्थी प्रमुख डॉ. महेश त्यागी मौजूद रहे।
इसके अलावा सरूरपुर के प्रमुख संयोजक अनितेश सैनी, सुभम त्यागी और सुमित त्यागी सहित अन्य कार्यकर्ता भी
शामिल हुए। जिस दिन तेरहवीं थी, उस दिन पंडित को बुलाकर विधि-विधान के साथ पूरे
परिवार के सदस्यों ने पूजा की।
तेरहवीं में करीबन 400 लोग शामिल हुए
तेरहवीं में भोज की तैयारी भी थी। पूरे गांव को मिलाकर तेरहवीं में करीबन 400 लोग शामिल हुए थे। उनके हिसाब से भोज के मैन्यू में हलवा-पूड़ी, पेठा, 2 तरह की सब्जी में एक आलू मटर
और दूसरी आलू फ्राई, कचौड़ी, रायता बनवाया गया था। गांव वाले बोले- परिवार ने गाय को बच्चे की तरह पाला ग्रामीणों ने बताया कि
मृत गाय बहुत सीधी स्वभाव की थी। गांव के अधिकतर परिवारों ने इस गाय के बच्चों को
पाल रखा है। जब गाय जीवित थी, तब गांव के लोग इसे प्रसाद
खिलाकर पूजा करते थे। इस कार्यक्रम ने गांव में हिंदू एकता का परिचय दिया।
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