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Wednesday, April 9, 2025

एमएसडीई ने इंडिया स्किल्स एक्सेलरेटर के लॉन्च के लिए वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के साथ की साझेदारी

 


नित्य संदेश ब्यूरो

मेरठ। भारत के कौशल के लक्ष्यों के गति प्रदान करने के प्रयास में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने नई दिल्ली के कौशल भवन में आयोजित उच्च स्तरीय गोलमेज चर्चा के दौरान वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के सहयोग से इंडिया स्किल्स एक्सेलरेटर पहल पर विचार विमर्श किया।

इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए मंत्री जयंत चौधरी ने युवा, गतिशील राष्ट्र की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कौशल प्रणाली में संरचनात्मक सुधार एवं सामुहिक महत्वाकांक्षा की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की जनसांख्यिकी क्षमता का लाभ तभी उठाया जा सकता है, अगर कौशल प्रणाली को विश्वस्तरीय अवसरों एवं राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप समावेशी एवं दुरुस्त बनाया जाए। इंडिया स्किल्स एक्सेलरेटर राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक-निजी साझेदारी के रूप में काम करेगा, यह मुश्किल चुनौतियों के समाधान के लिए विभिन्न आधुनिक विचारों एवं प्रगति को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न सेक्टरों के प्रयासों को सक्षम बनाएगा- वे चुनौतियां जिन्हें हल करने के लिए बहु-हितधारक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। कहा कि आज भारत के पास तीन शक्तिशाली ताकतें हैं- जनसांख्यिकी लाभांश, डिजिटल रूपान्तरण और विकास के लिए प्रतिबद्धता। दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी और जीवंत कौशल प्रणाली के साथ हम कौशल की दृष्टि से दुनिया की राजधानी बनने के लिए तैयार हैं।श्री चौधरी ने कहा, एक्सेलरेटर विचार-विमर्श के लिए महत्वपूर्ण मंच है, साथ ही यह व्यवस्थित बदलाव, साझा जवाबदेहिता, इनोवेशन एवं लक्षित समाधानों को बढ़ावा देने वाला माध्यम भी है। ‘‘यह स्पष्ट आकलन और सार्थक विचार-विमर्श का अवसर है- जो आंकड़ों पर आधारित और परिणामों पर केन्द्रित है।मंत्री ने क्षेत्रीय फोकस के महत्व पर रोशनी डाली, सर्वेक्षणों एवं साक्ष्यों के माध्यम से हमारी मौजूदा स्थिति पर विचार रखे, तथा उभरते क्षेत्रों जैसे जीसीसी, आधुनिक मैनुफैक्चरिंग एवं अनौपचारिक कार्यबल के औपचारीकरण को प्राथमिकता दी। 



सह-अध्यक्ष एवं माननीय मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने भारत को अगली पीढ़ी की प्रतिभा के विश्वस्तरीय केन्द्र के रूप में स्थापित करने के अवसरों पर विचार रखे। उन्होंने भारत की कौशल प्रणाली में प्रतिस्पर्धा को शामिल करने (खासतौर पर एआई, साइबरसिक्योरिटी एवं क्लाउड कम्प्युटिंग जैसे क्षेत्रों में) के महत्व पर भी ज़ोर दिया, ताकि भारत न सिर्फ अपनी स्वदेशी अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि, दुनिया के लिए भी कौशल को बढ़ावा दे। उन्होंने कहा कि एक्सेलरेटर विश्वस्तरीय महत्वाकांक्षा को परिणामों में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हमने बदलावकारी परिवर्तन शुरू किया है- जो प्रत्यास्थता, व्यवसायिक मार्गों एवं डिजिटल कौशल को बढ़ावा दे रहा है। हमारे इम्प्लीमेंटेशन मॉडल में केन्द्र और राज्य दोनों शामिल हैं जो डब्ल्यूईएफ जैसे विश्वस्तरीय मंच के लिए भी अमूल्य सबक हो सकते हैं।’’

सादिया ज़ाहिदी, मैनेजिंग डायरेक्टर, वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम ने कहा, ‘‘मार्केट में टेक्नोलॉजी और श्रम की दृष्टि से तेज़ी से बदलाव आ रहे हैं। ऐसे में स्किल एक्सेलरेटर का लॉन्च हमारे कार्यबल को भविष्य के अनुसार कौशल के साथ सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पहल कौशल प्रणाली को अनुकूल बनाकर, कौशल की खामियों को दूर करेगी तथा भारत की डिजिटल एवं इनोवेशन-उन्मुख इकोनोमी के विकास को गति प्रदान करेगी। हमें खुशी है कि हमें इस पहल को समर्थन देने का अवसर मिला है और हम इसके प्रभाव को देखने के लिए उत्सुक हैं।’’

एक्सेलरेटर का उद्देश्य तीन महत्वपूर्ण स्तरों पर बदलाव को बढ़ावा देना है- 1) भावी कौशल की आवश्यकताओं पर जागरुकता बढ़ाना और लोगों की सोच में बदलाव लाना; 2)हितधारकों के बीच आपसी सहयोग एवं ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना; और 3) अधिक अनुकूल एवं प्रतिक्रियाशील कौशल प्रणाली को समर्थन प्रदान करने के लिए संस्थागत संरचनाओं एवं नीतिगत ढांचे को अपग्रेड करना।  टेक्नोलॉजी और आर्थिक पहलुओं पर नज़र डालें तो भारत तेज़ी से बदलाव के दौर से गुज़र रहा है, इस बीच 65 फीसदी संगठनों का मानना है कि कौशल की कमी सबसे बड़ी रूकावट है जो प्रगति में बाधा उत्पन्न कर सकती है। ऐसे में एक्सेलरेटर का उद्देश्य अपस्किलिंग एवं रीस्किलंग, आजीवन लर्निंग में निवेश तथा सरकार एवं उद्योग जगत के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देकर कौशल की इन खामियों को दूर करना है।

यह पहल उच्च विकास वाले सेक्टरों जैसे एआई, रोबोटिक्स एवं एनर्जी में शिक्षा को उद्योग जगत के अनुरूप बनाकर, प्रशिक्षण को बढ़ावा देकर और करियर में बदलाव को सुगम बनाकर- भारत के युवाओं को सशक्त बनाएगी तथा उन्हें भविष्य के लिए तैयार करेगी।  इस पहल की प्रशासनिक संरचना की बात करें तो इसमें सार्वजनिक एवं निजी सेक्टरों के हितधारक शामिल होंगे, श्री जयंत चैधरी, माननीय राज्य कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) और माननीय राज्य शिक्षा मंत्री इसका नेतृत्व एवं सह-अध्यक्षता करेंगे। डॉ सुकांत मजूमदार, माननीय राज्य शिक्षा एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री भी इसके सह-अध्यक्ष होंगे। इसके लिए दो निजी सह-अध्यक्ष भी होंगे- मिस शोभना कामिनेनी, एक्ज़क्टिव चेयरपर्सन अपोलो हेल्थ कंपनी और श्री संजीव बजाज, चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर बजाज फिनसर्व।

गोलमेज के दौरान विशेषज्ञों ने भारत की कौशल प्रणाली के व्यापक विश्लेषण के महत्व पर विचार रखे, तथा 10 से 12 उच्च प्रभाव वाली प्राथमिकताओं पर भी रोशनी डाली। उन्होनें डब्ल्यूईएफ के ग्लोबल लर्निंग नेटवर्क के माध्यम से प्रगति और कार्यान्वयन पर निगरानी रखने के लिए वर्किंग ग्रुप बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया- ताकि पियर लर्निंग एवं ग्लोबल बेंचमार्किंग को सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा थीमेटिक वर्किंग ग्रुप के महत्व पर भी ज़ोर दिया गया, ताकि योजनाओं को आपसी सहयोग के साथ अंजाम दिया जा सके। प्रतिभागियों ने वल्र्ड इकोनोमिक फोरम की फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2025 रिपोर्ट के अनुरूप शुरू की गई नई पहल पर भी विचार प्रस्तुत किए।

सत्र के दौरान वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, राष्ट्रीय व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद, प्रशिक्षण महानिदेशालय, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से वरिष्ठ अधिकारी, तथा शिक्षा मंत्रालय, युनिवर्सिटी अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मुख्य प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

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