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Saturday, April 5, 2025

अभूतपूर्व आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है बुनकर समाज: संजय सिंह


एजुकेशन एंड बुनकर विकास समिति द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के बुनकरों की समस्याओं को लेकर सांसद संजय सिंह को सौंपा गया मांग पत्र

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। अपार चैम्बर में आयोजित संवाद कार्यक्रम में पहुंचे AAP सांसद संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश का बुनकर समुदाय, जो अपनी परंपरागत हथकरघा और पावर लूम कला के लिए देश-विदेश में प्रख्यात है, आज अभूतपूर्व आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह समुदाय, जो न केवल अपनी आजीविका के लिए, बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रहा है, अब सरकारी नीतियों के कारण गहरे संकट में फंस गया है। 

शनिवार को एजुकेशन एंड बुनकर विकास समिति ने विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें AAP राज्यसभा सांसद संजय सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में पश्चिमी प्रांत के अध्यक्ष सोमेंद्र ढाका और मेरठ जिला अध्यक्ष अंकुश चौधरी ने भी शिरकत की। मंच पर महानगर अध्यक्ष अंकित गिरी मौजूद रहे। संवाद कार्यक्रम में बुनकर समुदाय के प्रतिनिधियों ने अपनी व्यथा को सांसद संजय सिंह के समक्ष विस्तार से रखा। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लागू की गई नीतियों ने उनकी आजीविका को संकट में डाल दिया है। विशेष रूप से.जनवरी 2024 से बुनकरों के लिए वर्ष 2006 से चली आ रही फ्लैट रेट बिजली सुविधा को समाप्त कर मीटर रीडिंग के आधार पर बिल वसूलने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस बदलाव ने बुनकरों पर आर्थिक बोझ को कई गुना बढ़ा दिया है। मैनुअल लूम, जो पहले 130 रुपये प्रति हॉर्स पावर की दर पर संचालित होती थी, अब उस पर 800 रुपये प्रति हॉर्स पावर का शुल्क लिया जा रहा है—यह छह गुना से अधिक की वृद्धि है। इसके अलावा, पहले बुनकरों को 100 हॉर्स पावर तक की क्षमता के उपयोग की अनुमति थी, जिसे अब घटाकर मात्र 5 किलोवाट तक सीमित कर दिया गया है। इस सीमा ने उनके उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है और उनकी आजीविका को संकटग्रस्त बना दिया है।रेपियर लूम के मामले में भी स्थिति बेहद चिंताजनक है। 1 जनवरी 2024 से इन लूमों पर फ्लैट रेट सुविधा को समाप्त कर रीडिंग आधारित बिलिंग शुरू की गई है, जिसके परिणामस्वरूप बुनकरों की लागत इतनी बढ़ गई है कि उनका व्यवसाय चलाना अब लगभग असंभव हो गया है। 
बढ़ते बिजली बिल और घटते मुनाफे ने बुनकर समुदाय की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह चरमरा दिया है और अब बेरोजगारी का खतरा उनके सिर पर मंडरा रहा है। बुनकरों ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा पावर लूम को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित करने से व्यवस्था जटिल और महंगी हो गई है, जिसका सीधा असर उनके छोटे-छोटे उद्यमों पर पड़ रहा है।इस संकट से उबरने और अपनी आजीविका को बचाने के लिए बुनकर समुदाय ने एक विस्तृत मांग पत्र तैयार किया, जिसे सांसद श्री संजय सिंह को सौंपा गया। मांग पत्र में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं।

1- फ्लैट रेट की बहाली: वर्ष 2006 से 2023 तक प्रभावी रही फ्लैट रेट सुविधा को पुनः लागू किया जाए, ताकि बुनकरों को स्थिर और किफायती बिजली दरों का लाभ मिल सके।

2- सबसिडी बकाया शून्य करना: बिजली बिलों में दर्शाए गए सबसिडी के बकाया को पूर्ण रूप से माफ कर शून्य किया जाए, जिससे बुनकरों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।

3- 20 किलोवाट तक फ्लैट रेट: कम से कम 20 किलोवाट तक की बिजली खपत को फ्लैट रेट के दायरे में शामिल किया जाए, ताकि छोटे और मध्यम स्तर के बुनकर भी अपने व्यवसाय को सुचारु रूप से चला सकें।

4- रेपियर और मैनुअल लूम की समान श्रेणी: रेपियर और मैनुअल लूम को एक ही श्रेणी में रखा जाए, ताकि दोनों पर समान दरें लागू हों और भेदभाव की स्थिति समाप्त हो।

5- सहायक मशीनों को फ्लैट रेट में शामिल करना: लूम के साथ उपयोग होने वाली सहायक मशीनों को भी फ्लैट रेट सुविधा में शामिल किया जाए, क्योंकि ये उत्पादन प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा हैं।

6- हॉर्स पावर सीमा समाप्त करना: लूम पर एक या दो हॉर्स पावर की सीमा को हटाया जाए, ताकि बुनकर अपनी आवश्यकता के अनुसार मशीनों का उपयोग कर सकें और उत्पादन क्षमता बढ़ा सकें।

7- रीडिंग आधारित बिल की दर: यदि सरकार रीडिंग आधारित बिलिंग को ही लागू रखना चाहती है, तो बुनकरों से अधिकतम 3 रुपये प्रति यूनिट की दर ली जाए, जो उनकी आर्थिक स्थिति के अनुकूल हो।

बुनकर समुदाय ने सांसद संजय सिंह से अपील की कि वे इस गंभीर मुद्दे को राज्यसभा में प्रमुखता से उठाएं और बुनकरों की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि यह परंपरागत व्यवसाय केवल उनकी आजीविका का साधन ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक ताने-बाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि समय रहते इस संकट का समाधान नहीं किया गया, तो यह समुदाय पूरी तरह से हाशिए पर चला जाएगा, जिसका असर न केवल बुनकर परिवारों पर, बल्कि पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान पर भी पड़ेगा।

बुनकरों ने यह आशा जताई कि सांसद श्री संजय सिंह के नेतृत्व और प्रभावशाली आवाज के माध्यम से उनकी पीड़ा संसद तक पहुंचेगी और सरकार पर दबाव बनेगा कि वह उनकी मांगों पर त्वरित और सकारात्मक कार्रवाई करे। यह संवाद कार्यक्रम बुनकर समुदाय के लिए एक नई उम्मीद की किरण बन सकता है, बशर्ते उनकी मांगों को गंभीरता से लिया जाए और नीतिगत बदलाव किए जाएं।

इस संवाद कार्यक्रम में एजुकेशन एंड बुनकर विकास समिति के निम्नलिखित पदाधिकारी मुख्य रूप से मौजूद रहे खुरसीद, आलम, फैयाज अहमद, रासिद भ्य्या, ताहिर पार्षद, पूर्व पार्षद आस्मोहम्मद, असरफ, मुजाहिद, मुस्तफा, उम्मेद अली, सलीम अंसारी साथ ही, आम आदमी पार्टी मेरठ के निम्नलिखित पदाधिकारी भी उपस्थित रहे महानगर अध्यक्ष अंकित गिरी, जिला संरक्षक एसके शर्मा, जिला महासचिव जीएस राजवंशी, जिला उपाध्यक्ष मनोज शर्मा, किसान प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष फुरकान त्यागी, प्रदेश महासचिव अल्पसंख्यक प्रकोष्ट गुरमिंदर सिंह, जिला उपाध्यक्ष देश वीर जी, कैंट विधानसभा अध्यक्ष भरत लाल यादव, दक्षिण विधानसभा अध्यक्ष सलीम मंसूरी, जिला सचिव अनमोल कोरी, जिला सचिव कृष्ण शर्मा, चौधरी यसवीर जी, जिला सचिव यासीन मलिक, जिला सचिव आनंद दुआ, जिला कार्यकारिणी सदस्य सचिन वाल्मीकि आदि मौजूद रहे।

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