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Tuesday, March 11, 2025

रंगमय अंतर्धारा

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होली रंगो की रंगमय अंतर्धारा,
सतरंग सुसज्जित संसार सारा।
आनन के संग अंतर्मन रंगाओ,
शुभता से कोने-कोने सजाओ।।

क्रोध का धूसर धुआं उड़ता जाए,
ईर्ष्या की राख, मिलकर बुझाए।
प्रेम का गुलाबी रंग खिल जाए,
क्षमा धवलता से उर धड़काए।।

अहं, लोभ, द्वेष के घन घट जाए,
बैर,भाव के दल-दल सूख जाए।
सच की सुनहरी धूप निकल आए,
समरसता की सरिता बहती जाए।।

झूमे, नाचे, गाए, खुशियां मनाए,
अंतरंग हो तरल, गरल बिसराए।
उमंग, तरंग की अंतर्धारा बहाए,
मंगलमय रंगो से सब रंग जाए।।

सुखमय होली नित्य संदेश सुनाए,
सामंजस्य के रंगों से हृदय हर्षाए।
कालिख, मलिनता नहीं टिक पाए, 
आत्मीयता की फुलवारी महकाए।।

- सपना सी.पी. साहू 
इंदौर (म.प्र.)

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