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Tuesday, March 11, 2025

42 जनपदों की बिजली के निजीकरण का निर्णय निरस्त करने की मांग



नित्य संदेश ब्यूरो

मेरठ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर मंगलवार को लगातार 104वें दिन समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी रहा। संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि ग्रामीण क्षेत्रों और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति के मामले में निजी क्षेत्र की विफलता को देखते हुए प्रदेश के 42 जनपदों की बिजली के निजीकरण का निर्णय निरस्त किया जाए।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों इं सीपी सिंह (सेवानिवृत), इं कृष्ण कुमार साराश्वत, इं गौरव ओझा, इं मनीष कुशवाहा, इं निशान्त त्यागी, इं प्रगति राजपूत, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, दीपक कश्यप, प्रदीप दरोगा आदि ने कहा कि अत्यन्त दुर्भाग्य का विषय है कि बिजली कर्मी विगत 104 दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, किन्तु प्रबन्धन ने संघर्ष समिति से इस दौरान एक बार भी वार्ता नहीं की। संघर्ष समिति के निर्णय के अनुसार बिजली कर्मी भोजन अवकाश में या कार्यालय समय के उपरान्त विरोध सभा कर रहे हैं, जिससे कार्य में कोई व्यवधान न आए, किन्तु ऐसा लगता है कि प्रबन्धन ने हठवादिता का रवैया अपना रखा है।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आगे बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की बिजली व्यवस्था निजी घरानों को सौंपने के पहले सरकार को यह विचार करना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजी कंपनी द्वारा किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति में किए जा रहे भेदभाव को देखते हुए प्रदेश के 42 जनपदों में बिजली के निजीकरण का निर्णय कदापि उचित नहीं होगा। ऊर्जा भवन कार्यालय में विरोध सभा में सभी बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की


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