नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। विजय दशमी पर शमी के पौधे लगाने का विशेष महत्व है। शमी वृक्ष पर्यावरण, पौराणिक, भौगोलिक, धार्मिक, वास्तु एव औषधीय दृष्टिकोण के अनुसार, भारत व एशिया का एक महत्वपूर्ण एव श्रेष्ठ श्रेणी वृक्ष हैं। जो।अंगेजी में khejri plant के नाम से प्रचलित है।
हरीतिमा पर्यावरण संस्था (डॉ द्वारा संचालित एन.जी.ओ.) के अध्यक्ष डॉक्टर तरुण गोयल ने बताया, आवास के दक्षिण में रखना उत्तम माना जाता है। वसंत ऋतु में पेड़ पर पीले व हरे फूल आते है। सुख, समृद्धि एव सौभाग्य का प्रतीक है। विजयदशमी के पवित्र पर्व पर विशिष्ट पूजा होती है। भगवान शिव का द्योतक है। लक्ष्मी जी का वास होने के कारण उस स्थान कुबेर की कृपा बनी रहती है।
बताया कि गणेश, देवी दुर्गा व पार्वती पूजा में पत्तो का प्रयोग होता है। भगवान राम ने रावण बध के लिए शस्त्रों के लिए पूजा शमी की थी व युद्ध के तत्पश्चात शस्त्र लौटा दिये। महाभारत के समय अज्ञातवास मे॔ पाण्डवों ने अपने अस्त्र शस्त्र शमी के पेड़ पर छुपाये थे। इससे शमी की संरचना का ज्ञान होता है।
डॉक्टर तरुण गोयल ने बताया, कफ- विकार कफ, खाँसी,दस्त, बुखार, बवासीर, मधुमेह और मातृशक्ति सम्बंधित विकारो को मुक्त करने में सहायक हैं।
नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाला वृक्ष है, जिस कारण मिट्टी की उर्वरता मेें सुधार होता है व अन्य पेड़ पौधों को बढ़ने मे॔ मदद होती है।
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