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Thursday, December 11, 2025

TAVI से बदल रही है ज़िंदगी, हार्ट वॉल्व रोगों का आधुनिक और सुरक्षित समाधान


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ: लोगों की उम्र बढ़ने के साथ हार्ट वॉल्व डिज़ीज़, खासकर एओर्टिक स्टेनोसिस, काफी आम होती जा रही है। कई लोग सांस फूलना, जल्दी थकान, सीने में भारीपन या स्टैमिना कम होने जैसे लक्षणों को बढ़ती उम्र या लाइफस्टाइल से जोड़ देते हैं, जबकि अक्सर ये संकेत एओर्टिक वॉल्व के धीरे-धीरे नैरो होने की तरफ इशारा करते हैं। अगर समय पर इलाज न मिले, तो यह स्थिति हार्ट पर ज़्यादा दबाव डालकर लाइफ क्वालिटी और लाइफस्पैन दोनों को प्रभावित कर सकती है। 

हाल के वर्षों में कार्डियोलॉजी में बड़ा बदलाव आया है—ओपन हार्ट सर्जरी की जगह अब मिनिमली इनवेसिव एडवांस्ड प्रक्रियाएं तेजी से अपनाई जा रही हैं। इनमें ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट (TAVR) या TAVI सबसे प्रभावी विकल्प बनकर उभरा है। इस तकनीक में सीने को खोले बिना, सिर्फ ग्रोइन में एक छोटा-सा पंचर बनाकर कैथेटर के ज़रिये नया वॉल्व पुराने खराब वॉल्व के अंदर लगा दिया जाता है। इससे सर्जरी का ट्रॉमा कम होता है, रिकवरी तेज होती है और उन मरीजों को खास फायदा मिलता है जिन्हें पारंपरिक सर्जरी का जोखिम ज़्यादा होता है।

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर एवं , स्ट्रक्चरल हार्ट प्रोग्राम के हेड डॉ. विवेक कुमार ने बताया कि “TAVI बुजुर्गों और उन मरीजों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जिन्हें बड़ी सर्जरी सहन करना मुश्किल होता है। नई तकनीक और हाई प्रिसिशन उपकरणों की वजह से आज यह प्रक्रिया और भी ज़्यादा मरीजों के लिए सुरक्षित और उपयुक्त साबित हो रही है। कई लोग इलाज के बाद फिर से आराम से चल पाते हैं, सीढ़ियाँ चढ़ पाते हैं, अच्छी नींद ले पाते हैं और रोज़मर्रा की गतिविधियों में आत्मविश्वास के साथ लौट आते हैं। कम हॉस्पिटल स्टे और तेज रिकवरी ने TAVI को मॉडर्न स्ट्रक्चरल हार्ट केयर का महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। हार्ट वॉल्व प्रक्रियाओं के साथ कई बार हार्ट रिद्म डिस्टर्बेंस भी देखे जाते हैं, जिनके मैनेजमेंट में आधुनिक पेसमेकर अहम भूमिका निभाते हैं। आज के पेसमेकर छोटे, अत्याधुनिक और मरीज की हार्ट फंक्शनिंग के अनुरूप काम करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह पूरी स्ट्रक्चरल हार्ट केयर को और सुरक्षित व प्रभावी बनाते हैं।“

वॉल्व डिज़ीज़ में सबसे बड़ी चुनौती है—लेट डायग्नोसिस। जब तक मरीज डॉक्टर के पास पहुंचता है, तब तक हार्ट पर काफी दबाव पड़ चुका होता है। 60 वर्ष से अधिक आयु वालों या जिनका हार्ट प्रॉब्लम का इतिहास रहा हो, उन्हें नियमित कार्डियक चेक-अप ज़रूर कराना चाहिए। एक साधारण इकोकार्डियोग्राम से वॉल्व की शुरुआती गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है।

डॉ. विवेक ने आगे बताया कि “शुरुआती जांच से स्ट्रक्चरल हार्ट टीम यह तय कर सकती है कि मरीज TAVI, पेसमेकर या किसी और पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट के लिए उपयुक्त है या नहीं। यह फैसला इमेजिंग, हार्ट रिद्म, वॉल्व की बनावट और मरीज की संपूर्ण हेल्थ के आधार पर लिया जाता है। मिनिमली इनवेसिव तकनीकों ने कॉम्प्लेक्स हार्ट डिज़ीज़ के इलाज का तरीका पूरी तरह बदल दिया है। 

आज मरीजों को ऐसे सुरक्षित, तेज़ और आरामदायक विकल्प उपलब्ध हैं जिनके बारे में कुछ दशक पहले सोचना भी मुश्किल था। ज़रूरी है कि लोग लक्षणों को पहचानें, समय पर जांच कराएं और उपलब्ध उपचार विकल्पों को समझें।“ अगर लगातार सांस फूल रही हो, सीने में भारीपन हो, चक्कर आएं या बिना वजह थकान रहती हो, तो समय रहते कार्डियक विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहद ज़रूरी है।

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