-15 दिसंबर से गन्ना भवन में डेरा डाले है भाकियू कार्यकर्ता,
बजाई बीन, लगा जाम
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। गन्ना भवन पर बीते 15 दिसंबर से भाकियू टिकैत का
अनिश्चितकालीन धरना रविवार को भी जारी रहा, जिसमें अभी तक किसानों की किसी भी मांग
पर अधिकारियों ने सहमति नहीं जताई है। इसके बाद किसानों ने महापंचायत का ऐलान किया।
आसपास के जिले से किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर गन्ना भवन पहुंचे। इससे जाम की स्थिति
बन गई। किसानों ने सड़क पर ही सपेरे बुलाए और बीन बजा दी।
महापंचायत के दौरान किसानों ने उप गन्ना आयुक्त मुर्दाबाद
और किसान एकता के नारे लगाए। रागिनी और डांस शुरू किया। महापंचायत में मेरठ, बागपत,
हापुड़, बुलंदशहर, सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर के करीब 2 हजार से अधिक किसान पहुंचे
हैं। महापंचायत में पहुंचे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, 8 दिन
से किसान यहां लेट रहा है। कुछ वेराइटी के गन्ने रिजेक्ट कर दिया। पहली बार हुआ है
कि कागजों में भाव बढ़ा दिया और फिर भाव घटा दिया। सबसे बड़ी बात है कि जब रात में 2
बजे बुजुर्ग किसान ट्रैक्टर लेकर आता है और उससे कहा जाता है कि डेढ़ क्विंटल निकाल
लो। किसानों के खेत में धर्मकांटा थोड़ी नहीं लगा है। पहले होता था कि ओवरलोड तौल जाता
था वो आगे की पर्ची में एडजस्ट हो जाती थी। इन्ही समस्याओं पर बातचीत चल रही है। इस
सरकार को धरने प्रदर्शन से डर थोड़ी नहीं लग रहा। ये सरकार ने देश की राजधानी को 13
महीने तक घिरवा कर रखा। राकेश टिकैत ने कहा, पूंजीवाद को इस देश में बढ़ावा दिया
जा रहा है। जमीन महंगी और फसल सस्ती। ये सरकार की नीति है। जिससे वो आपकी जमीन छीनना
चाहता है। किसान इस नीति का विरोध कर रहा है। भाकियू
टिकैत के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है, जो सरकार
ने मूल्य बढ़ाया है, लेकिन अस्वीकृत प्रजाति में पहली साल से भी कम रेट दिया जा रहा
है। किसानों को सदस्यता रद्द करने की बात पर उन्होंने कहा कि गन्ना विभाग के अधिकारी
कुछ भी कर सकते हैं।
किसानों की मांगे
किसानों की बात सुनने के बाद राकेश टिकैत ने अपनी बात रखी। बोले
कि पहले मूल्य वृद्धि के आंदोलन होते थे, अब भुगतान और हाडा, भाड़ा के लिए किसान आंदोलन
कर रहा है। प्रशासन किसानों की समस्या से मुंह मोड़े हुए है। उन्होंने
कहा कि पिछले तीन पेराई सत्रों से जिन नियमों के तहत गन्ना तौल क्रय केंद्रों पर खरीद
हो रही थी, उसी व्यवस्था को इस सत्र में भी लागू किया जाए। मोहिउद्दीनपुर और मवाना
मिल पर किसानों का गन्ना सही तरीके से नहीं लिया जा रहा, जिससे किसान परेशान हैं। किसान
का इंडेंट 18 क्विंटल का होने पर यदि ट्रॉली में 24 क्विंटल गन्ना है तो उसे लेने से
मना किया जा रहा है। अगर अधिक गन्ना लिया जाता है तो अगला इंडेंट भी उतना ही बढ़कर
आ रहा है, जिससे किसानों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। खुद मिल से दी गई गन्ने की किस्म
को लेने से मिल अब इनकार कर रही है और गन्ना रिजेक्ट किया जा रहा है। 1831 किस्म का
बीज मिलों ने ही किसानों को दिया था, बावजूद इसके अब उसी किस्म के गन्ने को नहीं लिया
जा रहा। गन्ना रिजेक्ट होने से किसानों के सामने पूरी फसल नष्ट होने का खतरा खड़ा हो
गया है।
भाकियू जिलाध्यक्ष ने जतायी नाराजगी
किसानों का कहना है भाड़ा बढ़ाने का क्या कारण है? इसको स्पष्ट
किया जाए। साथ ही हम राकेश टिकैत के सामने आह्वान करते हैं कि जब तक मांगे पूरी नहीं
होगी, कोई यहां से नहीं जाएगा। मौजूद किसानों ने इस बात का समर्थन किया। किसानों और
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से वार्ता करने के लिए उप गन्ना आयुक्त मेरठ
मंडल राजीव राय पहुंचे, लेकिन देर शाम तक धरना जारी था। भाकियू
टिकैत के जिला अध्यक्ष अनुराग चौधरी ने राकेश टिकैत के सामने कहा कि एक हफ्ते से शीतलहर
और कोहरे में डीएम और अन्य कई अधिकारी तो रैन बसेरे में निरीक्षण करते रहे, लेकिन अर्धनग्न
होकर प्रदर्शन करते रहे किसानों की सुध लेने कोई नहीं आया। किसानों में इससे नाराजगी
है।
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