चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग में “इंटरव्यू का महत्व और उपयोगिता” विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। इंटरव्यू के मामले में हम उर्दू में काफी पिछड़े हैं। सच तो यह है कि इंटरव्यू लेने वाले को बहुत तैयारी करनी पड़ती है, अगर आप किसी शायर का इंटरव्यू लेते हैं, तो आपको शायर के बारे में बहुत कुछ जानना होगा और इंटरव्यू लेने से पहले तैयारी करनी होगी। ये शब्द थे प्रो. सगीर अफ़राहीम के, जो आयुसा और उर्दू विभाग द्वारा आयोजित “इंटरव्यू का महत्व और उपयोगिता” विषय पर अपना वक्तव्य दे रहे थे।
इससे पहले, प्रोग्राम की शुरुआत सईद अहमद सहारनपुरी ने पवित्र कुरान की तिलावत और फरहत अख्तर ने नात पेश की। अध्यक्षता प्रो. सगीर अफ़राहीम ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध पत्रकार डॉ. अता आबिदी (पटना) ने तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में जमाल अब्बास फहमी (प्रसिद्ध पत्रकार, अमरोहा) ने भाग लिया। गुलबर्गा विश्वविद्यालय से डॉ. रमीशा कमर ने शोध वक्ता के रूप में भाग लिया। लखनऊ से आयुसा की अध्यक्षा प्रो. रेशमा परवीन वक्ता के रूप में उपस्थित थीं। स्वागत भाषण डॉ आसिफ अली ने, संचालन डॉ शादाब अलीम ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ इरशाद स्यानवी ने किया। प्रसिद्ध लेखक एवं आलोचक प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि साक्षात्कार कला पर बहुत कम पुस्तकें उपलब्ध हैं। उर्दू में साक्षात्कार पुस्तकों की ओर अभी तक ध्यान नहीं गया है। आजकल एक रिवाज यह भी चल पड़ा है कि जब हम किसी का साक्षात्कार लेते हैं या किसी को साक्षात्कार देते हैं तो पहले से एक प्रश्नावली भेजी जाती है। इंटरव्यू बाद में होता है। जबकि बेहतर यह है कि इंटरव्यू लेने वाला और इंटरव्यू देने वाला आमने-सामने हों। इंटरव्यू का तरीका सभी को पता होना चाहिए। विद्यार्थियों को यह भी पता होना चाहिए कि साहित्यिक इंटरव्यू क्या होता है।
इस मौके पर अपने विचार रखते हुए जमाल अब्बास फहमी ने कहा कि कुछ मिनट का इंटरव्यू आपकी ज़िंदगी का राज़ खोल सकता है। इंटरव्यू की अहमियत के बारे में कहा जा सकता है कि इंटरव्यू में आपको खुद को साबित करना होता है। इंटरव्यू से पता चलता है कि आपने कितनी पढ़ाई की है और आप अपने विषय के कितने जानकार हैं। एक कमज़ोर इंटरव्यू सालों की मेहनत खराब कर सकता है। इंटरव्यू में आपकी काबिलियत का सही नज़रिया सामने आता है। आप कितने भी काबिल क्यों न हों, अगर आप सामने वाले के सामने अपना असली रूप नहीं दिखा सकते, तो आप कामयाब नहीं हो सकते। एक अच्छा इंटरव्यू आपको यादगार बनाता है। इंटरव्यू आपकी काबिलियत का खूबसूरत आईना होता है।
प्रोग्राम में बोलते हुए डॉ. अता आबिदी ने कहा कि इंटरव्यू को कला के लिहाज़ से वह अहमियत नहीं दी गई है जिसका वो हकदार हैं। कई इंटरव्यू इतिहास बनाते हैं। इंटरव्यू के बिना जर्नलिज़्म, जर्नलिज़्म नहीं है। इंटरव्यू को करिकुलम का हिस्सा बनना चाहिए। इस मौके पर डॉ. रमीशा कमर ने “लिटरेरी इंटरव्यू: ए गाइड टू लिटरेरी अंडरस्टैंडिंग” पर अच्छी जानकारी देने वाला आर्टिकल पेश किया। प्रोग्राम के दौरान, डॉ. शादाब अलीम का डॉ. तकी आबिदी का इंटरव्यू भी प्रसारित किया गया। इस अवसर पर डॉ. अलका वशिष्ठ, मुहम्मद नदीम मुहम्मद, शमशाद और दूसरे स्टूडेंट्स प्रोग्राम से जुड़े थे।

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