नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ: स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ में शिक्षा, राष्ट्रभक्ति, संस्कृति, कला और शोध के विविध आयामों को समेटते हुए अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
विश्वविद्यालय के सरदार पटेल सुभारती इन्स्टीट्यूट ऑफ लॉ द्वारा भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 75वीं पुण्यतिथि पर एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम लॉ कॉलेज के निदेशक राजेश चन्द्रा पूर्व न्यायमूर्ति, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के दिशा-निर्देशन में तथा प्रो. (डॉ.) रीना बिश्नोई, संकायाध्यक्षा एवं प्रधानाचार्या, सुभारती लॉ कॉलेज के नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस अवसर पर निदेशक राजेश चन्द्रा, प्रो. रीना बिश्नोई तथा प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय, संकायाध्यक्ष रिसर्च एवं डेवलपमेंट द्वारा सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
अपने संबोधन में जस्टिस राजेश चन्द्रा ने विद्यार्थियों को बताया कि किस प्रकार स्वतंत्र भारत की बिखरी हुई रियासतों, विशेषकर हैदराबाद और जूनागढ़, को भारतीय संघ में सफलतापूर्वक सम्मिलित किया गया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उन रियासतों का भारतीय संघ में विलय किया जो स्वयं में संप्रभु थीं, जिनका अलग झंडा और अलग शासक था। उन्होंने यह भी बताया कि सरदार पटेल ने आज़ादी से ठीक पूर्व संक्रमण काल में ही पी. वी. मेनन के साथ मिलकर देसी रियासतों के एकीकरण का कार्य आरंभ कर दिया था।
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, जब प्रेम और इंसानियत की जगह युद्ध ले रहा है, ऐसे समय में सरदार पटेल के विचारों को स्मरण करना और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है। उनका जीवन दृढ़ संकल्प और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने की प्रेरणादायक मिसाल है। इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम का संचालन बी.ए.एलएल.बी. पंचम वर्ष की छात्रा जोया राव द्वारा किया गया। वहीं पंचम वर्ष की छात्रा प्रकृति एवं दिया ने भी सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन और योगदान पर अपने विचार प्रस्तुत किए। सांस्कृतिक समिति की सदस्य शिक्षिका सोनल जैन ने बताया कि इस कार्यक्रम में सभी शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों द्वारा सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इसी क्रम में विश्वविद्यालय के महर्षि ऑरोबिंदो कॉलेज एवं हॉस्पिटल ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज़ द्वारा आयोजित प्राकृतिक चिकित्सा एवं योगिक थेरेपी–ब्यूटी केयर विषय पर पाँच दिवसीय कार्यशाला का भव्य समापन रानी लक्ष्मीबाई सभागार में संपन्न हुआ। इस अवसर पर श्रीलंका स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ सीलोन ऑफ आयुर्वेद एंड एस्थेटिक्स से पधारे प्रतिनिधिमंडल एवं कार्यशाला में सहभागिता करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। यह संपूर्ण कार्यक्रम कॉलेज के संकायाध्यक्ष डॉ. अभय शंकर गौड़ा के कुशल मार्गदर्शन में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरागत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसके पश्चात डॉ. शिवानी चौबे द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। समापन समारोह के दौरान विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक नृत्य ने भारत की विविधता में एकता को अत्यंत सुंदर ढंग से मंच पर प्रस्तुत किया, जिसने उपस्थित अतिथियों और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर डॉ. अभय शंकर गौड़ा ने श्रीलंका से अपने विद्यार्थियों सहित कार्यशाला में सहभागिता हेतु पधारी डॉ. शशी सरंगा एवं चमत्खा देवांगी सहित सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र एवं पटका प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहभागिता के माध्यम से प्राकृतिक चिकित्सा, योग और सौंदर्य देखभाल के क्षेत्र में ज्ञान-विनिमय को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम का समापन डॉ. नीरज नयन ऋषि द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर आईएसजीआर टीम, मानव शर्मा सीनियर असिस्टेंट डायरेक्टर, माणिक अरोड़ा असिस्टेंट डायरेक्टर, पंकज कुमार एओएस, कुश सरोहा सीनियर कंसल्टेंट) तथा आस मोहम्मद की उपस्थिति रही।
वहीं ललित कला संकाय अंतर्गत एनीमेशन विभाग द्वारा एनीमेशन कैरेक्टर डिज़ाइन की मूल अवधारणाएँ: मनोविज्ञान, सौन्दर्यशास्त्र एवं दृश्य कथानक विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का सफल आयोजन सत्यजीत रे सभागार ललित कला संकाय में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरागत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसे प्रो. (डॉ.) पिंटू मिश्रा, डॉ. आनंदा करमाकर, डॉ. भावना ग्रोवर, डॉ. विधि खंडेलवाल एवं डॉ. नेहा सिंह द्वारा संयुक्त रूप से संपन्न किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. आनंदा करमाकर, विभागाध्यक्ष, एनीमेशन विभाग, ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय, देहरादून उपस्थित रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में कैरेक्टर डिजाइन के मनोवैज्ञानिक आधार, सौंदर्यात्मक सिद्धांतों तथा समकालीन एनीमेशन में प्रयुक्त प्रभावी दृश्य कथानक तकनीकों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि किस प्रकार एक सशक्त पात्र दर्शकों से भावनात्मक रूप से जुड़ता है और कहानी को प्रभावशाली बनाता है। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. विधि खंडेलवाल, विभागाध्यक्ष, एनीमेशन विभाग, ललित कला संकाय के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम का संचालन बीएससी एनीमेशन के छात्र आकाश द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में एनीमेशन विभाग की संकाय सदस्यों तमन्ना एवं लक्ष्य खन्ना का विशेष योगदान रहा।


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