जेसीबी व डंपरों की गड़गड़ाहट से गूंजता इलाका, शिकायतों के बाद भी मौन बनी थाना पुलिस
नित्य संदेश ब्यूरो
खरखौदा। थाना क्षेत्र में कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। आरोप है कि यहां पुलिस की कथित संलिप्तता और संरक्षण में अवैध खनन का काला कारोबार रात के अंधेरे में धड़ल्ले से चल रहा है। पोकलैंड मशीनें, जेसीबी और ओवरलोड डंपर पूरी रात खेतों और खाली जमीनों को खोदते रहते हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि थाना पुलिस को न कुछ दिखाई देता है और न सुनाई देता है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही रात ढलती है, खनन माफिया पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर आते हैं। मशीनों की तेज आवाज, उड़ती धूल और भारी वाहनों की आवाज से पूरा इलाका थर्रा उठता है। इसके बावजूद पुलिस की कोई गश्त, कोई छापेमारी या कोई कार्रवाई नजर नहीं आती, जिससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि यह सब बिना संरक्षण के संभव नहीं।
सरकारी राजस्व को लाखों का चूना, किसानों की जमीन तबाह
अवैध खनन से एक ओर सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर किसानों की उपजाऊ जमीन बर्बाद की जा रही है। खेतों में बने गहरे गड्ढे किसी भी वक्त बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। ओवरलोड डंपरों के कारण ग्रामीण सड़कों की हालत बद से बदतर हो चुकी है, जिससे आम लोगों की जान जोखिम में पड़ गई है।
शिकायत करने वालों पर दबाव, माफिया बेखौफ
ग्रामीणों का आरोप है कि अवैध खनन की शिकायत करने पर कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ताओं पर ही दबाव बनाया जाता है। यही कारण है कि खनन माफिया पूरी तरह बेखौफ हैं और खुलेआम कानून को चुनौती दे रहे हैं। लोगों में डर का माहौल है और पुलिस के प्रति विश्वास लगातार टूटता जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है अगर पुलिस ईमानदारी से एक रात कार्रवाई कर ले, तो पूरा खेल खत्म हो सकता है। कार्रवाई न होना खुद बहुत कुछ बयां करता है।
क्या खरखौदा थाना क्षेत्र में कानून सिर्फ कागजों तक सीमित है?
आखिर किसके संरक्षण में चल रहा है अवैध खनन का यह खेल?
क्या जिला प्रशासन को रात में चलती मशीनें दिखाई नहीं देतीं?
जिलाधिकारी सहित आलाधिकारियों से सख्त कार्रवाई की मांग
क्षेत्रवासियों ने जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, अवैध खनन में लिप्त माफियाओं के साथ-साथ संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो। लोगों का कहना है कि यदि अब भी प्रशासन ने आंखें मूंदे रखीं तो यह अवैध कारोबार और अधिक विकराल रूप ले लेगा।
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या मेरठ प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इस गंभीर मामले का संज्ञान लेंगे या फिर खरखौदा थाना क्षेत्र में कानून यूं ही माफियाओं के आगे घुटने टेकता रहेगा।
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