नित्य संदेश ब्यूरो
सरधना। पांडुशिला रोड स्थित विद्योदय तीर्थ निलय में चल रही
ऋषभदेव महाकथा में मंगलवार को दूसरे दिन मुनि 108 प्रतीक सागर महाराज ने जीवन में अहिंसा,
सत्य, संयम और आत्मवत्सलता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भगवान ऋषभदेव
का जीवन मानवता को धर्म, कर्तव्य और आदर्श आचरण की दिशा दिखाता है।
मुनि श्री ने कथा करते हुए कहा कि मनुष्य का वास्तविक उत्थान
तभी संभव है, जब वह क्रोध, लोभ, अहंकार और मोह को त्यागकर आत्म-चिंतन और आत्म-सुधार
की राह पर आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में धर्म का पालन केवल अनुष्ठानों
से नहीं, बल्कि व्यवहार और चरित्र में परिवर्तन से होता है। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं
से आग्रह किया कि वे प्रतिदिन कम से कम कुछ समय अपने मन की शांति, प्रार्थना और आत्मानुशासन
के लिए अवश्य निकालें, क्योंकि वही जीवन को सही दिशा देता है। प्रवचन सुनने के लिए
बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे। इस मौके पर पंकज जैन, सौरभ जैन, ऋषभ जैन, अनिल
जैन, अनुज जैन, कमल जैन, आशीष जैन, विजय जैन, गौरव जैन, नमन जैन, राजीव जैन, कुणाल
जैन, सोमिल जैन, आयुष जैन, शोभित जैन आदि मौजूद रहें।

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