नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ: स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ में शिक्षा, सामाजिक चेतना एवं स्वास्थ्य जागरूकता से जुड़े तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का सफल आयोजन किया गया, जिनका उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों के समग्र विकास के साथ-साथ एक जागरूक, संवेदनशील एवं स्वस्थ परिसर का निर्माण करना रहा।
विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा “माइक्रो टीचिंग” विषय पर एक ई-न्यूज़ विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें एसएसएसएस डिग्री कॉलेज, रसना, मेरठ से आए प्रतिष्ठित शिक्षाविद् डॉ. संदीप कुमार मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। यह सत्र शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. (डॉ.) संदीप कुमार के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। उन्होंने भावी शिक्षकों के निर्माण में माइक्रो टीचिंग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अभ्यास, अवलोकन एवं रचनात्मक प्रतिपुष्टि के माध्यम से छात्र-शिक्षक अपने शिक्षण कौशल को प्रभावी ढंग से निखार सकते हैं। कार्यक्रम का संयोजन शारीरिक शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मंजू अधिकारी के नेतृत्व में किया गया, जिन्होंने शिक्षक शिक्षा में निरंतर व्यावसायिक विकास की आवश्यकता पर बल दिया। विशेषज्ञ व्याख्यान के दौरान डॉ. संदीप कुमार ने पाठ योजना निर्माण, कौशल-आधारित शिक्षण, प्रतिपुष्टि तंत्र एवं आत्म-मंथन अभ्यास जैसे प्रमुख घटकों पर व्यावहारिक उदाहरणों सहित विस्तार से चर्चा की। संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों ने सत्र को अत्यंत ज्ञानवर्धक बताया और कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
इसी क्रम में सुभारती कॉलेज ऑफ एलाइड एंड हेल्थकेयर में विश्वविद्यालय के जेंडर सेंसिटाइजेशन सेल के सहयोग से “जेंडर को समझना: मिथक बनाम वास्तविकता” विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को लैंगिक समानता एवं लैंगिक संवेदनशीलता के प्रति जागरूक करना तथा लैंगिक भूमिकाओं से जुड़े मिथकों को दूर करना रहा। विशिष्ट वक्ता डॉ. देवेंद्र कुमार (चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ) ने पूर्वाग्रहों को समाप्त करने, लैंगिक गतिशीलता को समझने और समान अधिकारों को बढ़ावा देने पर अपने विचार साझा किए। कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. पंकज किशोर मिश्रा ने अपने स्वागत भाषण में स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों में सामाजिक जिम्मेदारियों के विकास हेतु ऐसे संवेदीकरण कार्यक्रमों के महत्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने उत्साहपूर्वक संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया, जिसने आधुनिक समाज में लैंगिक संवेदनशीलता की आवश्यकता को और अधिक स्पष्ट किया।
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के मिशन शक्ति फेज–5 एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय की महिला सशक्तिकरण समिति द्वारा गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों एवं महिला कर्मचारियों के लिए “ओरल हाइजीन एवं मुख–स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अंशुल त्रिवेदी, चेयरपर्सन, डब्ल्यूईसी ने की। उन्होंने बताया कि दंत रोग केवल दाँतों तक सीमित न रहकर हृदय रोग, डायबिटीज़ एवं गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसके उपरांत दंत चिकित्सकों की टीम द्वारा सही टूथब्रशिंग तकनीक, फ्लॉसिंग, माउथवॉश के प्रयोग, जीभ की सफाई तथा आहार संबंधी आदतों पर लाइव प्रदर्शन किया गया। महिलाओं के लिए विशेष सत्र में गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों की सूजन, हार्मोनल परिवर्तनों से उत्पन्न मौखिक समस्याओं एवं पीरियड्स के दौरान संवेदनशीलता पर चर्चा की गई। प्रश्न–उत्तर सत्र में प्रतिभागियों ने दंत दर्द, बदबूदार सांस, ब्रश बदलने की आवृत्ति एवं बच्चों के दांतों की देखभाल से जुड़े प्रश्न पूछे, जिनका विशेषज्ञों ने सरल एवं व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किया। कर्मचारियों ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए भविष्य में भी ऐसे आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया।
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