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Thursday, December 11, 2025

“भाषा नहीं, राष्ट्र की आत्मा - भारती वैदिक वाचन समागम में उठी नई सांस्कृतिक प्रतिज्ञा”


“भारती से भारत तक: भारतीय भाषाओं के पुनर्जागरण की निर्णायक पुकार मेरठ से”

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अंतर्राष्ट्रीय सनातन ट्रस्ट (ISAASC Trust, Meerut) द्वारा “भारतीय भाषा दिवस (भारतीय भाषा उत्सव)” पर “सुब्रमण्य भारती वैदिक वचन समागम” का आयोजन श्री बिल्वेश्वर संस्कृत महाविद्यालय, मेरठ में संपन्न हुआ। 

यह कार्यक्रम केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं रहा ।यह भारतीय भाषाओं, संस्कृति, और वैदिक ज्ञान पर आधारित एक भविष्य-दृष्टि घोषणा जैसा अनुभूत हुआ। कार्यक्रम का संकल्प सूत्र “संस्कृतस्य पुनरुत्थानाय, भाषा-संस्कृति संवर्धनाय” केवल एक नारा नहीं था, बल्कि एक सामाजिक प्रतिज्ञा थी कि भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि सभ्यता का वाहक है, और यदि भाषा जीवित है तो संस्कृति भी जीवित है। मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जूद का कार्यक्रम आरंभ किया गया। इस अवसर पर शिक्षा, प्रशासन, साहित्य, संस्कृति और सामाजिक उत्थान से जुड़े कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे ,जिन्होंने भारतीय भाषाओं के संरक्षण, प्रसार और आधुनिक युग में उनकी भूमिका पर सारगर्भित विचार रखे। महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं में वैदिक वाचन द्वारा एहसास कर दिया कि भारत उन्हें अपनी स्वर्णिम वैदिक युग में पहुंच गया है। पूरा वातावरण मित्रों की कुंज से संगीत में हो गया। वैदिक वचनों, काव्य-पाठ, व्याख्यान और भाषाई जागरूकता संदेशों ने एक ऐसे भविष्य की छवि प्रस्तुत की, जिसमें भारतीय भाषाएँ विश्व संवाद की धुरी बनेंगी। सुब्रमण्य भारती का जीवन और काव्य ही इस विचारधारा का आधार स्वाभिमान, समानता, ज्ञानलाभ और साहस है। आज का युवा यदि इन मूल्यों को भाषा के माध्यम से अपनाए, तो भारत का सांस्कृतिक भविष्य सुरक्षित ही नहीं, बल्कि विश्व में अग्रणी बन सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला सूचना अधिकारी सुमित कुमार ने कहा कि सूचना-क्रांति के युग में भारतीय भाषाएँ डिजिटल दुनिया की नई पहचान बन सकती हैं। सरकार और समाज दोनों को मिलकर भाषाई जागरूकता को जन-आंदोलन बनाना होगा। मातृभाषा में अभिव्यक्ति जीवन को सरल, स्पष्ट और अधिक मानवीय बनाती है। आने वाले वर्षों में भारत की असली शक्ति उसकी भाषाई विविधता और वैदिक ज्ञान परंपरा के पुनरुत्थान में छिपी है।

मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पदक से अलंकृत सरबजीत जीत सिंह कपूर ने कहा कि भारत का भविष्य उसकी भाषाई धरोहर से ही निर्मित होगा, न कि केवल आयातित अवधारणाओं से, स्थानीय भाषा में शिक्षा समाज को आत्मनिर्भर बनाती है ,यह राष्ट्र निर्माण की पहली सीढ़ी है।हमारा लक्ष्य भाषाओं को आधुनिक शासन, तकनीक और शोध से जोड़ना होना चाहिए। विशिष्ट अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित श्रीमती सरोज गुप्ता ने महत्वपूर्ण संदेश दिया कि भारतीय भाषा एक भावनात्मक शक्ति है, यह हमें परिवार, समाज और राष्ट्र से जोड़ती है।भारती का काव्य हमें सिखाता है कि भाषा में क्रांति, करुणा और करूणा - तीनों की सामर्थ्य छिपी है।हमें भाषाओं को केवल पढ़ना नहीं, जीना होगा ,तभी समाज में परिवर्तन दिखाई देगा।

विशिष्ट अतिथि रवि माहेश्वरी ने कहा कि भारतीय भाषाओं का पुनर्जागरण तभी होगा जब घर-घर में मातृभाषा का सम्मान लौटे।सुब्रमण्य भारती ने जो भाषाई साहस दिखाया, वही आज की पीढ़ी को दिशा देता है। संस्कृत और भारतीय भाषाओं के अध्ययन को आधुनिक शिक्षा-ढांचे से जोड़ना आवश्यक है।” विशिष्ट अतिथि महेश सिंहल ने कहा कि भारतीय भाषाएँ केवल हमारी जड़ें नहीं, हमारे विचार-वृक्ष का आधार भी हैं। यदि भाषा खो गई तो पहचान छिन्न हो जाती है, इसे बचाना नैतिक दायित्व है।” सम्मानित अतिथि डॉ दिनेश दत्त शर्मा (प्राचार्य श्री बिलवेश्वर संस्कृत महाविद्यालय) ने कहा भारतीय भाषा-समर्थन केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, यह अकादमिक पुनर्निर्माण की प्रक्रिया है।संस्कृत के बिना भारतीय भाषा-विज्ञान की कोई नींव पूर्ण नहीं हो सकती।” 

ट्रस्ट की उपाध्यक्ष शिल्पी अग्रवाल ने कहा सुब्रमण्य भारती का जन्मदिवस, केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि भाषाई साहस, समानता, स्वाभिमान और नवजागरण की भावना को पुनर्जीवित करने का अवसर है। कार्यक्रम की आयोजक डॉ शुचि गुप्ता (अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय सनातन ट्रस्ट) ने धन्यवाद वक्तव्य में कहा कि ट्रस्ट का उद्देश्य केवल कार्यक्रम करना नहीं, वरन् भाषा संस्कृति के संरक्षण का सतत आंदोलन चलाना है। हमारा संकल्प है कि भारत की भाषाएँ विश्व-मंच पर अपना सम्मानित स्थान पुनः प्राप्त करें। मेरठ से उठी यह आवाज़ पूरे देश में भाषाई एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की नई शुरुआत का संकेत देती है।

पुरस्कार वितरण कार्यक्रम के अध्यक्ष जिला सूचना अधिकारी सुमित कुमार, अति विशिष्ट अतिथि प्रबंधक महेश सिंहल, मुख्य अतिथि सरबजीत सिंह कपूर राष्ट्रपति पदक से अलंकृत व विशिष्ट अतिथि श्रीमती सरोज गुप्ता द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पंकज कुमार झा ने किया। कार्यक्रम में डॉ अंजली प्रकाश व रविकांत शर्मा का निर्णायक मंडल के रूप में पाथेय प्राप्त हुआ।महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं में बहुत बड़ी संख्या में समागम में भाग लिया ।

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