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Friday, December 12, 2025

स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा उत्सव–2025 और गीता जयंती पर विशेष व्याख्यान का भव्य आयोजन



नित्य संदेश ब्यूरो

मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के भाषा विभाग, कला एवं सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा भारतीय भाषा उत्सव 2025 का भव्य और सफल आयोजन किया गया। यह उत्सव राष्ट्रवादी कवि, लेखक एवं पत्रकार महाकवि सुब्रह्मण्यम् भारती की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया गया, जिसका उद्देश्य भारतीय भाषाओं की बहुलता, सांस्कृतिक विविधता और रचनात्मक अभिव्यक्तियों को प्रोत्साहित करना है। कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरागत तिलक से अतिथियों के स्वागत, अतिथियों द्वारा अपनी मातृभाषा में हस्ताक्षर, मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन तथा भारत मानचित्र पर दीप प्रज्ज्वलित करने जैसी सांस्कृतिक प्रथाओं के साथ हुआ, जिसने पूरे वातावरण को गरिमामयी एवं एकात्म भाव से पूर्ण कर दिया। 


कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने वाले विशिष्ट अतिथियों में प्रति कुलपति प्रो. देवेंद्र स्वरूप, संकायाध्यक्ष कला एवं सामाजिक विज्ञान प्रो. सुधीर त्यागी, प्रो. मोनिका मेहरोत्रा तथा प्रो. एस. सी. तिवारी शामिल रहे। विभागाध्यक्ष डॉ. सीमा शर्मा ने पादप भेंट कर सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम के सफल संचालन में सहयोग देने हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन, निर्णायकों, संकाय सदस्यों, विद्यार्थियों, गैर-शिक्षण स्टाफ तथा तकनीकी दल का आभार व्यक्त किया। अपने उद्बोधन में प्रति कुलपति प्रो. देवेंद्र स्वरूप ने कहा कि भारतीय भाषाएँ राष्ट्र की सांस्कृतिक आत्मा हैं और उनकी संरक्षण-संवर्धन की जिम्मेदारी हम सबकी है। उन्होंने विद्यार्थियों को बहुभाषिकता अपनाने के लिए प्रेरित किया और भाषा विभाग के कार्यों की प्रशंसा करते हुए ऐसे आयोजनों को सांस्कृतिक एकता के लिए आवश्यक बताया। प्रो. सुधीर त्यागी ने भारतीय भाषाओं की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को देश की शक्ति बताते हुए विद्यार्थियों से मातृभाषा के साथ अन्य भारतीय भाषाओं को भी सीखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा उत्सव जैसी गतिविधियाँ नई पीढ़ी में भाषाई गौरव, सृजनात्मकता और सांस्कृतिक समझ को बढ़ाती हैं।



उत्सव में गायन, नृत्य और समूह रैंप वॉक जैसी विविध प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनका मूल्यांकन विशेषज्ञ निर्णायकों डॉ. अमृता जोशी, डॉ. निशा सिंह और डॉ. सरिता राणा द्वारा किया गया। गायन प्रतियोगिता में दीपांकर (प्रथम), श्रुति शर्मा (द्वितीय) और ऋया पाल (तृतीय) को पुरस्कृत किया गया। नृत्य प्रतियोगिता में विधि गोस्वामी (प्रथम), पियासा (द्वितीय) और अंशिका ठाकुर (तृतीय) विजेता रहीं। समूह रैंप वॉक में भारतीय पारंपरिक परिधान श्रेणी में भाषा विभाग ने प्रथम, विज्ञान संकाय ने द्वितीय तथा एलाइड एंड हेल्थ केयर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस पूरे आयोजन में भाषा विभाग के संकाय सदस्यों डॉ. मिनाक्षी मिश्रा, सुश्री अंकिता शर्मा, मोहम्मद जुबैर, डॉ. प्रीति सिंह, सुश्री शैली शर्मा, डॉ. रफ़त खानम, डॉ. यशपाल, डॉ. मनीषा लूथरा, डॉ. स्वाति शर्मा, डॉ. आशीष कुमार, डॉ. रणवीर सिंह, डॉ. निशि राघव, डॉ. प्रीति शर्मा, सान्या अग्रवाल, अंकित कुमार, अभिजीत शर्मा, पुष्पेंद्र राजपूत एवं प्रिया शर्मा का उल्लेखनीय योगदान रहा।


वहीं दूसरी ओर स्वामी विवेकानंद शोध पीठ, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा गीता जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य भगवद्गीता की सनातन शिक्षाओं को आधुनिक आर्थिक परिस्थितियों से जोड़ते हुए यह समझना था कि किस प्रकार प्राचीन भारतीय दर्शन आज की जटिल आर्थिक, सामाजिक और नैतिक चुनौतियों के समाधान में मार्गदर्शक सिद्ध हो सकता है। कार्यक्रम का मुख्य विषय “वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में भगवद्गीता की प्रासंगिकता” था। कार्यक्रम का संचालन प्रो. (डॉ.) मोनिका मेहरोत्रा, प्रोफेसर एवं संयोजिका, स्वामी विवेकानंद चेयर द्वारा किया गया। इस अवसर पर फ़ैकल्टी ऑफ आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज के डीन, प्रो. (डॉ.) सुधीर त्यागी की उपस्थिति ने कार्यक्रम की बौद्धिक गरिमा को और बढ़ाया। अपने स्वागत संबोधन में प्रो. मेहरोत्रा ने धर्म, कर्तव्यनिष्ठा, संतुलन, आत्मानुशासन और निष्काम कर्म जैसे सिद्धांतों को आधुनिक आर्थिक अध्ययन एवं नीति निर्धारण के लिए अत्यंत प्रासंगिक बताया। 



कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव, महामंत्री, उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ उपस्थित रहे। उन्होंने गीता को नेतृत्व, नीति-निर्माण और अर्थव्यवस्था का दिशा-दर्शक बताते हुए निःस्वार्थ कर्म, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और व्यावसायिक नैतिकता पर गहन विचार प्रस्तुत किए। विशिष्ट अतिथि वक्ताओं डॉ. अजय कुमार (विभागाध्यक्ष, भूगोल विभाग, बभनऊ, गोंडा, उ.प्र.) तथा डॉ. नरेंद्र कुमार (सहायक प्रोफेसर, लखनऊ) ने वैश्वीकरण, बेरोज़गारी, संसाधनों के असंतुलित वितरण, पर्यावरणीय संकट और सतत विकास जैसे मुद्दों पर गीता के सिद्धांतों की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। कार्यक्रम में प्रो. (डॉ.) ज्योति गौर, डॉ. नेहा, डॉ. मोहिनी मित्तल, डॉ. किरण आर. पंवार, डॉ. दिनेश कुमार, श्री कपिल कुमार, सुश्री जूली, डॉ. लवली, अशपिन्द्रा कौर और डॉ. दुर्वेश कुमार सहित अनेक शोधार्थियों और विद्वानों ने सहभागिता की तथा अपने विचार रखकर चर्चा को समृद्ध किया।

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