नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। मयूर विहार स्थित प्रो. सुधाकराचार्य के आवास पर
कथा व्यास डा. पूनम लखनपाल द्वारा रविवार को सामवेद की पञ्चम दिवस की कथा हुई।
कथा के दौरान उन्होंने बताया कि हे सर्वरक्षक अग्नि आपको
समर्पित समिधा व सामग्री को आप ग्रहण करते हैं, हमारी रक्षा करते हैं, हमारी कामनाओं
को आप पूर्ण करते हैं।। आप अनुपमेय हैं। आप हमें बुद्धि, धन, सम्पत्ति प्रदान कीजिए।
यह सभी विकार रहित हों व शुद्ध हों। इस मन्त्र में अर्थशौच अर्थात् सही साधनों और तरीकों
से ही धन कमाया जाए। हम अपने जीवन की सभी गतिविधियों को सबल व सशक्त बनाने के लिए अग्नि
का आह्वान और नमन करते हैं। आपके द्वारा हमारा वरेण्य रक्षण हो। हे अग्नि! आप हमें
अपने संरक्षण में लें। हमारी वाणी में ओज प्रदान करें, उस शुद्ध व ओजपूर्ण वाणी में
की गयी स्तुतियों को स्वीकारें। हे अग्नि! आप हमें जल व द्रव्यों को प्रदान करते हैं।
आप आराध्य हैं। आप यज्ञ के माध्यम से उक्षित हैं। आप मनुष्यों को प्रकाश, ज्योति रूप
में प्राप्त होते हैं। *ॐ अग्न आ याहि वीतये के साथ कथा पूर्ण हुई। सोमवार को
छठे दिन की कथा में अग्नि की और स्तुतियों का वर्णन किया जाएगा।

No comments:
Post a Comment