नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय स्थित इतिहास विभाग
में स्वतंत्र समर में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाली महारानी लक्ष्मीबाई के जन्म दिवस
के अवसर पर एक परीचर्चा- कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर प्रोफेसर विघ्नेश कुमार ने कहा कि पेशवा से संरक्षित इनके पिता मोरपत तांबे के यहां एक बच्ची का जन्म हुआ, जिसका नाम मनु रखा गया। अंतिम पेशवा और 1857 की क्रांति के सूत्रधार माने जाने वाले नाना साहब पेशवा के साथ उनकी शिक्षा हुई। अस्त्र शस्त्र चलाने में रानी लक्ष्मीबाई अत्यंत निपुण थी। उनके द्वारा कही गई सूत्र वाक्य मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी को कुछ लोगों ने जानबूझकर गलत रूप में प्रदर्शित किया गया। उनका स्वतंत्र समर में महत्वपूर्ण योगदान है।
इस अवसर पर रानी
लक्ष्मीबाई के योगदान के साथ-साथ नाना साहब के योगदान पर भी प्रकाशडाला गया। परिचर्चा
का प्रारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलंन कर किया गया। इस अवसर पर डॉक्टर कुलदीप
कुमार त्यागी, डॉक्टर योगेश कुमार, डॉक्टर मनीषा, डॉ. शालिनी प्रज्ञा सहित अनेक शोधार्थी
आलोक कुमार, शुभांगी, शाह रजा, हिमानी, शुभम कुमार, दीपक आदि उपस्थित रहे।

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