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Saturday, November 22, 2025

मेरठ–गढ़ संपर्क मार्ग: अधूरा निर्माण बना जनता की बड़ी मुसीबत

 


-बारिश का पानी और सर्दी का कोहरा बना खतरा, संसद तक उठ चुका है मुद्दा

वसीम अहमद

नित्य संदेश, किठौर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला प्रमुख मेरठ–गढ़ संपर्क मार्ग वर्षों से अधूरे पड़े निर्माण कार्य के कारण जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। एक ओर सड़क पर बने गहरे गड्ढे, उखड़ी सतह और धूलभरी पट्टियां यात्रियों की रोजमर्रा की परेशानी हैं, वहीं मौसम बदलते ही यह मार्ग और भी भयावह रूप ले लेता है, क्योंकि बारिश में बरसात का पानी सड़क पर भर जाने से गहरे गड्ढे दिखना बंद हो जाते हैं और हल्के वाहन स्वामी अक्सर गड्ढों में गिर जाने के कारण चोटिल हो जाते हैं। सर्दियों में घना कोहरा दृश्यता को बेहद कम कर देता है, जिससे इस मार्ग पर चलना जान जोखिम में डालने जैसा हो जाता है। जिसमें कई वाहन स्वामियों की जान चले जाने के कारण अनेकों परिवार उजड़ गए।


स्थानीय निवासी मुजीब अंजार ललियाना, शान मोहम्मद छात्र नेता, डॉ. सरफराज अहमद महलवाला आदि सहित सैकड़ों नियमित यात्रियों के अनुसार, बरसात में यह सड़क दलदल जैसी बन जाती है। गड्ढों में भरा पानी खतरों को कई गुना बढ़ा देता है, जिससे मोटरसाइकिल और छोटे वाहन अस्थिर होकर गिर जाते हैं। दूसरी ओर, दिसंबर–जनवरी की सुबह इस रास्ते को और खतरनाक बना देती हैं। कोहरे के कारण न तो गड्ढे दिखाई देते हैं और न आगे से आने वाला वाहन। कई बार यहां हादसे इस वजह से भी होते हैं कि यात्री कोहरा चीर कर अचानक उभरे गड्ढे से बच नहीं पाते, जिससे वह हादसे का शिकार हो जाते हैं। आपको बता दें कि लंबे समय से मेरठ गढ़ सम्पर्क मार्ग पर सड़क निर्माण का कार्य रुका हुआ है। विभागीय लापरवाही, बजट की अनिश्चितता और निर्माण एजेंसियों के बदलने से यह काम वर्षों से फाइलों में अटका पड़ा है। इस कारण यात्रियों को एक ऐसी खस्ताहाल सड़क से गुजरना पड़ रहा है, जो हर मौसम में अपना नया संकट लेकर सामने आती है।


विधायक ने उठाया था मार्ग का मुद्दा

इस मार्ग की गंभीर स्थिति को देखते हुए बीते दिनों समाजवादी पार्टी से किठौर विधायक शाहिद मंजूर ने संसद में इस मुद्दे को पूरे दमदार तरीके से उठाया। उन्होंने केंद्र सरकार से स्पष्ट रूप से मांग की थी कि इस सड़क का अधूरा निर्माण कार्य तुरंत पूरा कराया जाए। उनका कहना था कि यह संपर्क मार्ग न सिर्फ ग्रामीण अंचलों को जोड़ने वाली जीवनरेखा है, बल्कि गढ़मुक्तेश्वर, हरिद्वार और दिल्ली की ओर जाने वाले ट्रांजिट यातायात का भी मुख्य मार्ग है। ऐसे में इसका जर्जर होना बड़े क्षेत्रीय नुकसान का कारण बन रहा है।


यात्रियों, किसान और व्यापारियों को रही परेशानी

यात्रियों, किसान संगठनों और व्यापारियों का कहना है कि यातायात अव्यवस्थित हो चुका है। एंबुलेंस, स्कूल वाहन, दूध–सब्जी की आपूर्ति लगभग रोज बाधित होती है। क्षेत्रवासियों की एकजुट मांग है कि इस मार्ग को प्राथमिकता श्रेणी में डालकर तुरंत निर्माण कार्य शुरू करवाया जाए। संसद तक आवाज़ पहुंचने के बाद लोगों में उम्मीद जरूर जगी थी, लेकिन उन्हें अभी भी इंतजार है कि आखिर कब यह मार्ग बारिश और कोहरे के खतरे से मुक्त होगा।


अब उम्मीद, कार्रवाई कब?

जनता, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और जनप्रतिनिधि सबकी एक ही मांग है कि अधूरी सड़क को तुरंत पूरा किया जाए। सड़क से उठी आवाज अब संसद तक में भी कब की पहुंच चुकी है, जिसके चलते क्षेत्रवासियों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि आखिर वादों की गूंज कब तक धरातल पर उतरती है? और कब यह महत्वपूर्ण मार्ग फिर से सुरक्षित व सुगम बनकर जनता को राहत देता है।

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