नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। ढाई साल के बच्चे को घर में खेलते समय मेज का कोना आंख के ऊपर लग गया। चोट लगने से बच्चे की आईब्रो के नीचे खून बहने लगा। पैरेंट्स बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास गए। जहां उन्होंने टांके लगाने के बजाय फेवीक्विक लगा दी। उसे 12 घंटे तक असहनीय दर्द हुआ। इसके बाद परिजन उसे दूसरे अस्पताल लेकर गए। जहां फेवीक्विक को हटाने में 3 घंटे लग गए। इसके बाद डॉक्टरों ने घाव को खोलकर 5 टांके लगाए।
पैरेंट्स ने सीएमओ से मामले की शिकायत की। इस मामले में सीएमओ ने 2 सदस्यीय टीम गठित की। टीम में डिप्टी सीएमओ और एक सर्जन शामिल थे। वहां डॉक्टर और स्टाफ से पूछताछ की। मामला भाग्यश्री अस्पताल का है। इस मामले में भाग्यश्री अस्पताल के डायरेक्टर का कहना है कि बच्चे को मेडिकल ग्लू लगाया गया था। पैरेंट्स झूठ बोल रहे हैं। उस दिन अस्पताल में सोनी नाम के टेक्नीशियन ने बच्चे का इलाज किया गया था। फिलहाल उस कर्मी को अभी सस्पेंड कर दिया गया है। बच्चे मनराज के पिता जसपिंदर कौर ने बताया, मेरे से ही स्टाफ ने फेवीक्विक मंगवाकर बच्चे के घाव पर लगाई है। पूरा मामला अस्पताल में लगे सीसीटीवी में रिकार्ड है। अगर अस्पताल में ऐसा नहीं हुआ है तो प्रबंधन द्वारा अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज सबके सामने लानी चाहिए, ताकि सच का पता चल सके।
इन्होंने कहा
इस मामले में मेडिकल के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि ऐसा पदार्थ की एक बूंद भी अगर आंख में चली जाए तो खुजली, लालीपन, एलर्जी या जख्म भी कर सकता है। अगर आंख के अंदर की काली पुतली उसके संपर्क में आ जाए तो बच्चे की रोशनी भी प्रभावित हो सकती थी। इसे ज्वलनशील पदार्थों में माना जाता है, इसलिए त्वचा और आंख के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है।
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