-आवास विकास ने 31 दुकानों को
दिया नोटिस, विरोध में सड़क पर वितरे व्यापारी
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। 35 साल पुराने 3
मंजिला कॉम्प्लेक्स को रविवार को पूरी तरह ढहा दिया गया, इसमें 22 दुकानें थीं।
बुलडोजर चलना शुरू होते ही कारोबारी रोने लगे। एक्शन रोकने के लिए महिलाएं भी हाथ
जोड़कर अफसरों से मिन्नतें करती दिखीं। अलंकार साड़ी सूट्स शॉप के मालिक और उनकी
पत्नी सुबह से कुर्सी लगाए बैठकर अपनी दुकान को निहारते रहें। दुकान गिरने पर पूरा
परिवार फफक पड़ा। कहने लगे कि दुकान से ही परिवार चलता था। अब कैसे गुजारा करेंगे?
आवास विकास के डिप्टी
हाउसिंग कमीशन अनिल कुमार सिंह ने कहा, इसी क्षेत्र में अलग-अलग 31 और दुकानों को
ढहाए जाने की नोटिस दी गई हैं। ये भी आवासीय प्लाट पर कॉमर्शियल दुकानें हैं। इसके
बाद 31 दुकानों के मालिक विरोध पर उतर आए हैं। गुस्साए व्यापारी बाजार बंद कर
प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं। सेंट्रल मार्केट को अब बंद रखने का ऐलान
किया गया है। बाजार बंद कराने के साथ ही व्यापारियों ने जमावड़ा शुरू कर दिया। उनका आरोप
है कि जो कॉम्प्लेक्स गिराया गया, वो कार्रवाई ठीक है। लेकिन, जो अन्य 31 दुकानें हैं,
उनको जो नोटिस गया है वो गलत है। अब जो 31 दुकानों के संचालक हैं, वो विरोध कर रहे
हैं। व्यापारियों का आरोप है कि सिटी में ढेर जगह
अवैध बाजार हैं। लेकिन, आवास विकास केवल सेंट्रल मार्केट के पीछे पड़ा है। इसको
लेकर सेंट्रल मार्केट के दुकानदारों ने अनिश्चितकालीन बंदी का ऐलान कर दिया है।
लखनऊ की कंपनी को दिया टेंडर
इस संबंध में आवास
विकास के डिप्टी हाउसिंग कमीशन अनिल कुमार सिंह ने कहा, इसी क्षेत्र में अलग-अलग
31 और दुकानों को ढहाए जाने की नोटिस दी गई है। ये भी आवासीय प्लाट पर कॉमर्शियल
निर्माण की दुकानें हैं। जल्द ही इन दुकानों को भी गिराया जाएगा। ध्वस्तीकरण और 31
अन्य दुकानों के ध्वस्तीकरण का कुल 86 लाख में टेंडर हुआ है। लखनऊ की एक कंपनी को
टेंडर दिया गया है।
कॉम्प्लेक्स के बिखरे मलबे को
हटाने का कार्य शुरू
गौरतलब है कि शनिवार सुबह 11
बजे कॉम्प्लेक्स गिराने की कार्रवाई शुरू हुई थी। पहले दिन, यानी शनिवार को लगभग 7
घंटे में 40% हिस्सा गिराया गया। रविवार को सुबह साढ़े 9 बजे कार्रवाई फिर से शुरू
हुई। भीड़ को देखते हुए पुलिस ने पूरे इलाके में बैरिकेडिंग कर दी। सुरक्षा के लिए
कई थानों की फोर्स और PAC तैनात की गई। ड्रोन से हर गतिविधि पर नजर रखी गई। सबसे
पहले दो पोकलेन और चार बुलडोजर से बिल्डिंग के सारे पिलर कमजोर किए गए। इसके बाद
पूरा कॉम्प्लेक्स खुद-ब-खुद जमींदोज हो गया। इसका वीडियो भी सामने आया है, जिसमें
बिल्डिंग गिरने के बाद आस-पास धूल का गुबार भरता दिख रहा है। फिलहाल, कॉम्प्लेक्स
के बिखरे मलबे को हटाया जा रहा है।
288 वर्गमीटर में बना था
अवैध कॉम्पलेक्स
यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट
के आदेश पर हुई। कॉम्प्लेक्स 288 वर्गमीटर में बना था। यह जमीन काजीपुर के वीर
सिंह को आवास के लिए आवंटित हुई थी। हालांकि, 1990 में विनोद अरोड़ा नाम के
व्यक्ति ने पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल कर यहां अवैध रूप से कॉम्प्लेक्स बनवा लिया।
इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को आदेश दिया था
कि इस कॉम्प्लेक्स को 3 महीने के भीतर खाली कराया जाए। फिर आवास विकास परिषद दो
सप्ताह के अंदर इसे ध्वस्त करे। हालांकि, आदेश की अवहेलना की गई। मामले में
याचिकाकर्ता लोकेश खुराना ने अवमानना का वाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया। कोर्ट
ने सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा। 27 अक्टूबर को जवाब दाखिल करने
का अंतिम दिन था। इसलिए आखिरी वक्त पर कॉम्प्लेक्स को ढहाया गया।

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