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Monday, August 11, 2025

"हथकरघा दिवस पर प्रदर्शनी का आयोजन"


सपना सीपी साहू 
नित्य संदेश, इंदौर। शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, किला भवन, इंदौर (म.प्र.) के गृह विज्ञान विभाग के द्वारा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर हथकरघा से निर्मित परंपरागत साड़ियों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। 

 कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथिगण डॉ. वंदना गुप्ता, डॉ. ज्योति जगवानी (सेवानिवृत्त प्राध्यापक गृह विज्ञान) महाविद्यालय प्राचार्य के डॉ. बी.डी. श्रीवास्तव एवं गृह विज्ञान विभाग अध्यक्ष डॉ. दुर्गेश शांडिल्य के द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. ज्योति जगवानी के द्वारा गृह विज्ञान विभाग के इस प्रयास की सराहना की गई। डॉ. वंदना गुप्ता ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन से बच्चों को परंपरागत वस्त्रों का ज्ञान होता है और जो सुकून पारंपरिक वस्त्रों में है वह आजकल के मिश्रित वस्त्रों में नहीं मिलता। 
संस्था प्रमुख डॉ. बी. डी. श्रीवास्तव ने परंपरागत वस्त्रों की सुंदरता और सादगी के प्रति महिलाओं में जो अंतर्दृष्टि होती है उसकी सराहना की तथा छात्राओं को इस अंतर्दृष्टि को और प्रगाढ करने की बात की।डॉ. दुर्गेश शांडिल्य ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह दिन स्वदेशी वस्त्रों को बढ़ावा देने और बुनकरों को सम्मान देने के लिए बनाया जाता है। हथकरघा दिवस के महत्व को उजागर करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को बताया कार्यक्रम की संयोजक डॉ. रीतिबाला भोर ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला, साथ ही कुछ पंक्तियां उन्होंने हथकरघा दिवस पर समर्पित की "हथकरघा के धागे साधारण नहीं, एक पैगाम है।
 धागों धागों को जोड़कर, 
संजोया हुआ हिंदुस्तान है।
 किसी के घर की रोटी,
 तो किसी की पहचान है ।
उन धागों को वह दिल से पिरोया करते हैं,
बुनकर सिर्फ कपड़े नहीं,
 उनमें कहानियाॅ भी बुना करते हैं। अब हथकरघा के आगे,
 मशीनों की क्या ही करनी बात है। यह हथकरघा की बुनाई बहुत ही नायाब है।
 
हथकरघा दिवस के अवसर पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया तथा अंत में डॉ. शीतल ब्राह्मणे द्वारा आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक गण, कार्यालयीन स्टाफ एवं छात्राएं उपस्थित रहें। यह जानकारी मीडिया प्रभारी डॉ नीरज चौहान एवं डॉ अंतिम बाला शास्त्री ने दी।

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