नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। शुभम करोति फाउंडेशन
की ओर से आभा मानव मंदिर वरिष्ठ नागरिक सेवा सदन पंचवटी कॉलोनी में श्रीरामचरितमानस
ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दूसरे दिन सत्संग प्रवचन हुआ।
व्यासपीठ महामंडलेश्वर
स्वामी अनंतानंद सरस्वती ने बताया कि जब सती को संशय हुआ कि जो सारे जगत के स्वामी
है, वह ऐसे वन में क्यों फिर रहे हैं, तब उन्होंने उनकी परीक्षा लेनी चाही। शिवजी के
बार-बार समझाने पर भी माता सती ने श्री राम जी की परीक्षा ली और वह विफल हुई। उन्होंने
कहा कि हमें अपने कर्म और धर्म की तो परीक्षा लेनी चाहिए, लेकिन ब्रह्म की परीक्षा
कभी नहीं लेनी चाहिए। सावन में राम कथा सुनने से भगवान शंकर प्रसन्न होते और फल स्वरुप
भगवान शिव भक्ति प्रदान करते हैं। भक्ति अभिमान रहित होनी चाहिए। मां पार्वती श्रद्धा
एवं शिव विश्वास का स्वरूप है। जब हम किसी को अपना हृदय अर्पित करते हैं तो वह प्रेम
हो जाता है और जब अपनी बुद्धि अर्पित करते हैं तो वह श्रद्धा होती है।
मनुष्य को अपनी बुद्धि
संत जनों, गुरु जनों में अर्पण करके श्रद्धा से उनके वचनों पर विश्वास करके आगे बढ़ना
चाहिए, तभी ब्रह्म की प्राप्ति होती है। गुरु परमात्मा का ही स्वरूप होता है, जो ज्ञान
के अधिकारी और पात्र शिष्यों को अपने ज्ञान से उस ब्रह्म की प्राप्ति करा देता है।
प्रियांक सिंघल, सुरेश चंद्र गोविंल, आभा गोविंल आदि मौजूद रहे।
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