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Thursday, July 31, 2025

मुंशी प्रेमचंद के समय जो हालात थे, वे आज भी मौजूद हैं: प्रोफेसर दीपा



-सीसीएस विवि के उर्दू विभाग में किया गया ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। मुंशी प्रेमचंद हमारे लिए आदर्श हैं। प्रेमचंद ने अपना मुख्य ध्यान उन गांवों और लोगों पर रखा, जिनका जिक्र उन्होंने उस समय भी नहीं किया, जब उन्होंने 1936 में प्रगतिशील सम्मेलन के दौरान अपने भाषण में कहा कि अब हमें सुंदरता के मानक बदलने होंगे। यानी हमें साहित्य और समाज की हर चीज में सुंदरता के मानक को देखना होगा। प्रेमचंद ने समाज को बहुत कुछ दिया, इसीलिए हम उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। 

ये शब्द थे प्रख्यात आलोचक प्रोफेसर सगीर अफ्राहीम के, जो आयुसा एवं उर्दू विभाग द्वारा आयोजित "वर्तमान परिस्थितियां और प्रेमचंद" विषय पर अपना अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा लगता है जैसे प्रेमचंद हमारे साथ घर में, महल में, झोपड़ी में, खेत में बैठे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर सगीर अफ्राहीम ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर अब्दुल रहीम (पूर्व विभागाध्यक्ष उर्दू, मुमताज पीजी कॉलेज, लखनऊ) उपस्थित रहे। प्रोफेसर दीपा त्यागी (हिंदी विभागाध्यक्ष, आई.एन.पी.जी. गर्ल्स कॉलेज, मेरठ) और डॉ. वसी आज़म अंसारी (एसोसिएट प्रोफेसर, उर्दू विभाग, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ), जूही बेगम (पूर्व शिक्षिका, इलाहाबाद डिग्री कॉलेज) और पूनम मनु (प्रसिद्ध लेखिका, मेरठ) ने वक्तागण के रूप में भाग लिया। लखनऊ से आयुसा की अध्यक्ष प्रोफेसर रेशमा परवीन भी कार्यक्रम में शामिल हुईं। स्वागत एवं परिचयात्मक भाषण डॉ. इरशाद स्यानवी तथा संचालन डॉ. अलका वशिष्ठ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन मुहम्मद नदीम ने किया।

इस अवसर पर प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों में पूरा भारत समाया हुआ है। प्रेमचंद हमारे लिए एक आंदोलन और एक पाठशाला बन गए हैं। मुंशी प्रेमचंद का प्रभाव कई कथा लेखकों की रचनाओं में पाया जा सकता है। पूरा भारत एक बड़े घराने की बेटी, ईदगाह, कफन, दो बैल, निर्मला, विधवा, रंगभूमि आदि में सांस लेता हुआ प्रतीत होता है। कार्यक्रम से डॉ. आसिफ अली, डॉ. शादाब अलीम, डॉ. फराह नाज, कशिश, मुहम्मद शमशाद व अन्य छात्र जुड़े रहे।

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