शहरी महिलाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है लंग कैंसर का खतरा
खुशी श्रीवास्तव
नित्य संदेश, मेरठ: हर साल 1 अगस्त को मनाया जाने वाला लंग कैंसर डे विश्व स्तर पर लोगों को इस घातक बीमारी के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। भारत में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि फेफड़ों का कैंसर पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक बना हुआ है। हालांकि ऑन्कोलॉजी क्षेत्र में प्रगति हो रही है, फिर भी लंग कैंसर के मरीजों में जीवित रहने की दर बेहद कम बनी हुई है—जिसका मुख्य कारण बीमारी का देर से पता लगना है।
भारत में पुरुषों में यह दूसरा सबसे आम कैंसर है और यह कुल कैंसर से होने वाली मौतों में लगभग 10% के लिए ज़िम्मेदार है। चिंता की बात यह है कि लगभग 70% मामलों में इसका पता तीसरे या चौथे चरण में चलता है, जब इलाज की संभावनाएं काफी सीमित हो जाती हैं।
*मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नोएडा के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रिंसिपल डायरेक्टर, डॉ. एस एम शोएब ज़ैदी ने बताया कि* “इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण तंबाकू का सेवन है। भारत में लगभग 26.7 करोड़ तंबाकू उपभोक्ता हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में बीड़ी और गुटखा जैसे उत्पाद सिगरेट की तुलना में अधिक प्रचलित हैं। लेकिन अब एक चिंताजनक रुझान यह भी देखने को मिल रहा है कि गैर-धूम्रपान करने वालों में भी—खासतौर पर शहरी महिलाओं में—लंग कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। शोध बताते हैं कि बायोमास ईंधन, सेकेंड-हैंड स्मोक और शहरी वायु प्रदूषण जैसे कारण भी लंग कैंसर को बढ़ावा दे रहे हैं।“
हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह सिद्ध हो चुका है कि लो-डोज सीटी स्कैन से लंग कैंसर की शुरुआती पहचान संभव है, लेकिन भारत में अब तक इसको लेकर कोई राष्ट्रीय स्क्रीनिंग कार्यक्रम नहीं है। लोगों में भी इसके शुरुआती लक्षणों—जैसे लगातार खांसी, खून वाली बलगम, अचानक वजन कम होना या सीने में दर्द—के बारे में जागरूकता बेहद कम है।
*डॉ. शोएब ने आगे बताया कि* “आगे का रास्ता तंबाकू नियंत्रण कानूनों को और सख्ती से लागू करने, सस्ते और सुलभ जांच साधनों की उपलब्धता बढ़ाने, और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े डॉक्टरों को शुरुआती लक्षण पहचानने के लिए प्रशिक्षित करने पर केंद्रित होना चाहिए। साथ ही, यह आवश्यक है कि हमारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों में हाई-रिस्क समूहों, विशेष रूप से शहरी आबादी के लिए लंग कैंसर की स्क्रीनिंग को प्राथमिकता दी जाए।“
लंग कैंसर डे हमें यह याद दिलाता है कि अब समय आ गया है जब सरकार, संस्थाएं और आम नागरिक मिलकर इस दिशा में पहल करें—जहां इलाज से पहले रोकथाम और शुरुआती पहचान पर ज़ोर हो, ताकि हम अनगिनत ज़िंदगियों को बचा सकें।
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