अर्जुन देशवाल
नित्य संदेश, बहसूमा। महाभारत कालीन महर्षि दुर्वासा की तपोभूमि फिरोजपुर शिव मंदिर में जलाभिषेक करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। महाशिवरात्रि पर लाखों कांवड़िए भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।यह मंदिर शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है।
महाभारतकालीन महर्षि दुर्वासा ने फिरोजपुर सिद्धपीठ शिव मंदिर की स्थापना कर यहां कठोर तपस्या की थी। इस दौरान माता गांधारी और कुंती महाभारत युद्ध के समय अपने-अपने पुत्रों की विजय का आशीर्वाद लेने यहां आई थी। फिरोजपुर गांव के कुछ ग्वाले गाय चराने इसी मंदिर के पास से जाते थे गायों के झुंड से निकलकर एक बछिया रोजाना पत्थर पर दूध की धारा गिरती थी। इसकी चर्चा उस समय के जमींदार हैदर अली तक पहुंची उन्होंने कुछ मजदूरों को उस टीले की खुदाई करने के लिए भेजा बताया जाता है कि जितनी खुदाई की जाती पत्थर उतना ही नीचे चला जाता था। हैदर अली स्वयं मौके पर पहुंचे और मजदूरों से पत्थर तोड़ने के लिए कहा। मजदूरों ने उसे हथौड़े से तोड़ने का काफी प्रयास किया लेकिन वह सफल नहीं हो पाएं एक माह तक मिट्टी डालकर शिवलिंग को दबाने का प्रयास किया लेकिन शिवलिंग जमीन से ऊपर उठता चला गया।
बताते हैं कि कुछ माह बाद गांव के एक व्यक्ति को स्वपन में आवाज आई की सुबह उठकर गंगा स्नान करने के बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक करो। तुम्हारा कल्याण होगा उस समय गंगा रामराज कस्बे के निकट बहती थी उस व्यक्ति ने गंगा में स्नान कर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया तो भोले बाबा के आशीर्वाद से उसका परिवार धन धान्य से परिपूर्ण हो गया। तभी से फिरोजपुर शिव मंदिर पर जलाभिषेक होता आ रहा है।
फिरोजपुर शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग खुलें आसमान के नीचे स्थित है। मंदिर स्थापित होने के बाद यहां श्रद्धालुओं ने शिवलिंग के चारों ओर चार दिवारी घर छत डालने का प्रयास भी किया लेकिन छत बनाने के दौरान स्वयं छत गिर जाती है।
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